भारत ने गुरुवार को पहली बार सात रोहिंग्याओं को म्यांमार को सौंप दिया। वे छह साल से अवैध रूप से असम में रह रहे थे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें म्यांमार वापस भेजे जाने की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
इन रोहिंग्याओं को मणिपुर के मोरेह सीमा चौकी पर म्यांमार के अधिकारियों को सौंपा। ये सातों 2012 से सिलचर के डिटेंशन सेंटर में रह रहे थे। इस प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अर्जी लगाई गई थी।
कोर्ट रूम: चीफ जस्टिस ने कहा- प्रक्रिया गलत नहीं
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मामले को लेकर सभी बातें रिकॉर्ड पर हैं। प्रक्रिया को गलत नहीं ठहराया जा सकता।
- केंद्र सरकार ने सुप्रीम को बताया गया- “सात अवैध रोहिंग्या 2012 में भारत में घुसे थे। भारत ने इनकी जानकारी म्यांमार सरकार से मांगी थी। इसी साल म्यांमार सरकार ने विदेश मंत्रालय को बताया कि इनकी नागरिकता की पहचान कर ली गई है। ये उनके नागरिक हैं। इन्हें सिलचर के डिटेंशन सेंटर में रखा गया है।”
- प्रक्रिया का विरोध कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह गलत जानकारी है। म्यांमार ने इन्हें कभी अपना नागरिक नहीं माना है। चीफ जस्टिस ने दलीलों को अस्वीकार कर याचिका खारिज कर दी।
म्यांमार के अधिकारियों ने इन रोहिंग्याओं की पहचान की है। इनकी वापसी के लिए भारत ने म्यांमार के राजनयिक को काउंसलर मुहैया कराने की अनुमति दी थी। वहीं, असम एडीजीपी भास्कर ज्योति महंत ने कहा है कि सिलचर सेंट्रल जेल में बंद सातों म्यांमारी नागरिकों को बुधवार को रवाना किया गया है। वह इस समय ट्रांजिट में हैं। उन्होंने और ब्योरा देने से मना कर दिया। भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या घुसपैठिए रह रहे हैं। हाल में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से घुसपैठियों की पहचान करने को भी कहा है।
केरल पुलिस ने खुफिया जानकारी के बाद पांच सदस्यों वाले एक रोहिंग्या परिवार को हिरासत में लिया है। यह रोहिंग्या परिवार गैरकानूनी तरीके से हैदराबाद-त्रिवेंद्रम सबरी एक्सप्रेस से सोमवार रात को तिरुवनंतपुरम रेलवे स्टेशन आया था। इसके बाद वे विझिंजम पहुंचे थे, जहां से इन्हें मंगलवार को पकड़ा गया। इनके पास यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त द्वारा हैदराबाद में जारी किया गया शरणार्थी कार्ड है।
बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर राज्य सरकारें रिपोर्ट तैयार कर रही हैं। रोहिंग्या को वापस भेजने के लिए इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार म्यांमार से कूटनीतिक माध्यमों से बात करेगी। रोहिंग्या संकट से निपटने के लिए पहले ही राज्यों को उनकी पहचान और बायोमैट्रिक डाटा जुटाने के निर्देश दिए जा चुके हैं।