विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने का भारत के बजरंग पूनिया का सपना पूरा नहीं हो सका है और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा है. यहां 65 किलोग्राम वर्ग में जापान के ताकुटो ओटोगुरो से उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. पुनिया चौथे भारतीय हैं जो विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक के दावेदार थे. 24 वर्षीय पूनिया को 19 वर्षीय आटोगुरो ने 16-9 से शिकस्त दी. ओटोगुरो जापान के सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बने. सुशील कुमार एकमात्र भारतीय हैं जिन्होंने विश्व चैंपियनशिप में 2010 में स्वर्ण पदक हासिल किया था.
गौरतलब है कि बजरंग पूनिया का नाम उस समय सुर्खियों में आया था जब प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न के लिए उनके नाम की सिफारिश को दरकिनार कर दिया गया था. भारतीय कुश्ती महासंघ ने राजीव गांधी खेल रत्न के लिए 2018 एशियाड में गोल्ड मेडलिस्ट रहे पूनिया के नाम की सिफ़ारिश की थी, लेकिन सरकार ने विराट कोहली और वेटलिफ्टर मीराबाई चानू को संयुक्त तौर पर ये सम्मान देने का फ़ैसला किया था
सरकार के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए बजरंग का कहना था कि जानना चाहते हैं कि जब खेल रत्न के लिए उनके अंक ज़्यादा थे तो उन्हें क्यों नहीं इस पुरस्कार के लिए चुना गया? बजरंग ने यहां तक कहा था कि खेल रत्न पुरस्कार की अनदेखी करने से उनकी विश्व चैम्पियनशिप की तैयारियों पर बड़ा असर पड़ा है