अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अखाड़े के पंच और साधु-संतों ने मिलकर उज्जैन के दिगंबर अखाड़े में बैठक कर उन्हें निष्कासन करने का फैसला किया. इस मौके पर राजस्थान से आए पंच शिव शंकर दास ने आधिकारिक रूप से नामदेव दास उर्फ कंप्यूटर बाबा को महामंडलेश्वर पद से हटाने और दिगंबर अखाड़े से बाहर करने का फैसला सुनाया है.
दरअसल शिवराज सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त होने के बाद इस्तीफा देने तक कम्प्यूटर बाबा लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं. ऐसे में ग्वालियर के कोटेश्वर मंदिर के पास एक वाटिका में कम्प्यूटर बाबा द्वारा ग्वालियर-चंबल संभाग के सभी संतों के लिए एक समागम आयोजित किया गया. सुबह से चल रहे इस संत समागम में पहले तो कम्प्यूटर बाबा नर्मदा से लेकर अवैध खनन जैसे कई मामलों को लेकर लगातार शिवराज सरकार पर हमला बोल रहे थे. वहीं शाम होते ही समागम का रंग ही बदल गया. जहां संत समागम के खत्म होने के बाद सभी बाबाओं को रुपयों से भरा एक लिफाफा देकर उनको विदा किया गया.
इस सिलसिले में सभी संतों को 500, 1000 और 2000 रुपयों का लिफाफा दिया जाने लगा. वहीं विधानसभा चुनाव के चलते प्रदेश में आचार संहिता लागू की गई है. इसके बाद भी कम्प्यूटर बाबा के समागम में पैसे से भरा लिफाफा दिया गया. बाबा ने कहा कि शिवराज सरकार ने धर्म की उपेक्षा की है. सरकार द्वारा गौ मंत्रालय बनाने की घोषणा पर भी उन्होंने सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि सरकार संत समाज की उपेक्षा कर रही है. बाबा ने बताया कि हम साधु-संतों की एक कार्यप्रणाली होती है, जिसके तहत हम एक साथ बैठते हैं और चीजों पर फैसला लेते हैं. लेकिन मैंने देखा कि शिवराज सरकार ने धर्म के लिए कुछ नहीं किया है.