हिमाचल में लैंड बैंक बना नहीं है तो इनवेस्टर मीट में देश-विदेश के बड़े निवेशकों को कैसे आकर्षित करेंगे? सरकार ने फरवरी में धर्मशाला में इनवेस्टर मीट आयोजित कर 80 हजार करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा है। राज्य में बाहरी लोगों को उद्योग के लिए जमीन जुटाना आसान नहीं है। प्रदेश में धारा 118 लागू है। ऐसे में पूंजीपतियों के लिए भूमि लेना काफी कठिन रहता है। राज्य में पूंजीपति हवाई कनेक्टिविटी की बात लंबे समय से कहते रहे हैं, लेकिन इस दिशा में भी ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है।
पूर्व सरकार के समय भी इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, न ही वर्तमान सरकार कोई ठोस कदम उठा सकी है। लिहाजा, जिस गति से राज्य में नए उद्योग स्थापित होने चाहिए थे, उतने नहीं हो पाए। सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए हैं, परंतु इनमें अधिकांश प्लॉट खाली हैं। प्लॉट लेने में पूंजीपति खास रुचि नहीं दिखा रहे। बड़े उद्योगपति पांच-सात सौ हेक्टेयर जमीन की मांग करेंगे तो इसके लिए लैंड बैंक तक नहीं है। यह बात उद्योग विभाग के अधिकारी भी स्वीकारते हैं।राज्य के पंडोगा और कंदरोड़ी में सरकार में नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए हैं। यहां अभी तक एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का रास्ता साफ नहीं हुआ है। चन्नौर में सरकार 200 कनाल क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की तैयारी में है। पूर्व सरकार ने ऊना से बसाल में नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया था। यहां करोड़ों की लागत से व्यावसायिक भवन का निर्माण किया था। यहां भी कोई आने को तैयार नहीं है।
सरकार भले की दावा करती है कि उद्योग लगाने को सरकार धारा 118 के तहत मंजूरी देती है। बताते हैं कि राज्य में उद्योग लगाने को कम से कम दो साल का समय लगता है। ऐसी स्थिति में उद्योगपतियों के धैर्य का बांध टूटने लगता है।सीआआई की पिछले दिनों शिमला में हुई बैठक में सदस्यों ने यह मामला प्रमुखता से उठाया था कि जब तक फोरलेन तैयार नहीं किए जाते और हवाई कनेक्टिविटी मजबूत नहीं होगी, तब तक पूंजीपतियों को आकर्षित नहीं किया जा सकता। सरकार समीक्षा कर रही है कि राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में कितने प्लॉट खाली हैं। निवेशकों को उद्योग लगाने के लिए राज्य में जमीन उपलब्ध है। किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आएगी।