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तीन तलाक

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भारत का सर्वोच्च न्यायालय के आदेश ने लम्बे और पीड़ादायक संघर्ष के बाद ही सही, त्वरित ट्रिपल तलाक़ कहने से शादी तोड़ देने की मनगढ़ंत परम्परा के एक झटके में टुकड़े-टुकड़े कर दिय

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में मुस्लिम महिलाओं ने इतने लंबे समय बाद तीन तलाक के मसले पर अपने हक की लड़ाई जीत ली है. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि भारत से पहले दुनिया के 22 ऐसे देश हैं जहां तीन तलाक पूरी तरह बैन है. अच्छी बात यह है कि इस सूची में पाकिस्तान, बांग्लादेश, सीरिया सहित कई मुस्लिम देश भी हैं. प्रेरणा लेने वाली बात यह है कि कई देशों में तो मुस्लिम जजों की खंडपीठ ने महिलाओं का दर्द समझा और उनकी याचिका को स्वीकारते हुए तीन तलाक को बैन कर दिया.

मिस्र दुनिया का पहला ऐसा देश है जहां तीन तलाक को पहली बार बैन किया गया था. साल 1929 में मुस्लिम जजों की खंडपीठ ने सर्वसम्मति से तीन तलाक को असंवैधानिक करार दे दिया था.साल 1929 में ही मिस्र को नजीर मानते हुए सूडान की अदालत ने अपने देश में तीन तलाक को बैन कर दिया.1947 में भारत और पाकिस्तान एक साथ अलग हुए लेकिन, तीन तलाक को बैन करने में हमारा पड़ोसी हमसे कई कदम आगे है. पाकिस्तान में सन 1956 में ही तीन तलाक को बैन कर दिया गया था.पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा ने 1955 में पहली पत्नी को तलाक दिए बिना अपनी सेक्रेटरी से शादी कर ली थी. इसी घटना के बाद देशभर की महिलाएं उठ खड़ी हुईं और तीन तलाक को बैन कर दिया गया.
भारत के सहयोग से 1971 में पाकिस्तान से अलग हुए बांग्लादेश ने भी संविधान में संशोधन कर तीन तलाक को बैन कर दिया था. यहां तलाक से पहले यूनियन काउंसिल के चेयरमैन को शादी खत्म करने से जुड़ा एक नोटिस देना होता है.
भारत के एक ओर पड़ोसी देश श्रीलंका में तीन तलाक को कई विद्वानों ने एक आदर्श कानून करार दिया है. यहां मैरिज एंड डिवोर्स (मुस्लिम) एक्ट 1951 के तहत पत्नी से तलाक चाहने वाले पति को एक मुस्लिम जज को नोटिस देना होगा, जिसमें उसकी पत्नी के रिश्तेदार, उसके घर के बड़े लोग और इलाके के प्रभावशाली मुसलमान भी शामिल होंगे. ये सभी लोग दोनों के बीच सुलह की कोशिश करेंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर 30 दिन बाद तलाक को मान्य करार दिया जाएगा. तलाक एक मुसलमान जज और दो गवाहों के सामने होता है.
साल 1959 में इराक दुनिया का पहला अरब देश बना था, जिसने शरिया कोर्ट के कानूनों को सरकारी कोर्ट के कानूनों के साथ बदल दिया. इसके साथ ही यहां तीन तलाक खत्म कर दिया गया. इराक के पर्सनल स्टेटस लॉ के मुताबिक ‘तीन बार तलाक बोलने को सिर्फ एक ही तलाक माना जाएगा.’ 1959 के इराक लॉ ऑफ पर्सनल स्टेटस के तहत पति और पत्नी दोनों को ही अलग-अलग रहने का अधिकार दिया गया है.
करीब 74 फीसदी वाले देश सीरिया में तीन तलाक के नियम को इस तरह से तैयार किया गया है कि कोई भी पुरुष आसानी से पत्नी से अलग नहीं हो सकता है. यहां 1953 में बने कानून के तहत तलाक जज के सामने ही वैध माना जाता है.साइप्रस, जॉर्डन, अल्जीरिया, इरान, ब्रुनेई, मोरक्को, कतर और यूएई में भी तीन तलाक पर बैन है.

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