पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली जश्न के सबसे आखिरी यानी पांचवें दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. भाई दूज का त्योहार बहन और भाई के प्यार का प्रतीक होता है. ये त्योहार रक्षाबंधन की तरह ही होता है, फर्क सिर्फ इतना है कि इस दिन राखी नहीं बांधी जाती, बल्कि बहनें सिर्फ अपने भाइयों का तिलक करती हैं और आरती उतारती हैं.
भाई दूज शुभ मुहूर्त-
मुहूर्त प्रारंभ- दोपहर 1 बजकर 10 मिनट.
मुहूर्त समाप्त- दोपहर 3 बजकर 27 मिनट.
मुहूर्त अवधि- 2 घंटे 17 मिनट.
ऐसे करें तिलक
सबसे पहले बहनें चावल के आटे से चौक तैयार करें.
इस चौक पर भाई को बैठाएं और फिर उनके हाथों की पूजा करें.
इसके लिए भाई की हथेली पर आप चावल का घोल लगाएं.
इसके बाद इसमें सिंदूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ते हुए मंत्र बोलें.
किसी-किसी जगह पर इस दिन बहनें अपने भाइयों की आरती भी उतारती हैं और फिर हथेली में कलावा बांधती हैं.
भाई का मुंह मीठा करने के लिए भाइयों को मिश्री खिलाना चाहिए.
शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर दीए का मुख दक्षिण दिशा की ओर