Home शख़्सियत एस. निजलिंगप्पा

एस. निजलिंगप्पा

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एस. निजलिंगप्पा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1968-1969 में अध्यक्ष थे। उन्हीं के कार्यकाल में कांग्रेस में विभाजन हुआ। एस. निजलिंगप्पा 1956 में मैसूर के मुख्यमंत्री भी रहे थे।

जीवन परिचय
एस. निजलिंगप्पा का जन्म 10 दिसंबर, 1902 ई. को मैसूर राज्य के बेलारी ज़िले में हुआ था। निजलिंगप्पा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1968-1969 में अध्यक्ष थे। उन्हीं के कार्यकाल में कांग्रेस में विभाजन हुआ।

शिक्षा
बचपन में निजलिंगप्पा को एक पुराने किस्म के अध्यापक वीरप्पा मास्टर से परम्परागत शिक्षा मिली। इस तरह भारत के अन्य स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों की तरह निजलिंगप्पा शिक्षा में परम्परागत तथा आधुनिक शिक्षा का अद्भुत मिश्रण थे। बासवेश्वर का जीवन और उनके वचनों ने, शंकराचार्य के दर्शन के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अवधि और महात्मा गांधी की शिक्षाओं ने उन पर बहुत प्रभाव डाला। एस. निजलिंगप्पा ने बंगलौर से अपनी स्नातक पूर्ण की और पुणे से क़ानून की डिग्री प्राप्त की। क़ानून की डिग्री प्राप्त होने पर उन्होंने वकालत से अपना जीवन आरंभ किया।

राजनैतिक जीवन
निजलिंगप्पा का राजनीतिक जीवन 1936 में शुरू हुआ। वह कांग्रेस अधिवेशनों की बैठकों में एक दर्शक के रूप में उपस्थित होते थे। 1936 में जब निजलिंगप्पा डॉ. एन.एस. हार्डिकर से मिले तो वह कांग्रेस के क्रियाकलापों में रूचि लेने लगे, उन्होंने इससे पहले पहले एक कार्यकर्ता की तरह काम किया और प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बन गये, और अन्ततोगत्वा 1968 में ऑल इंडिया कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बन गये। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ कर्नाटक के एकीकरण के लिये भी आंदोलन चल रहा था। 12 नवंबर, 1969 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अलग करने की घोषणा की गई थी। सांसदों का बहुमत इंदिरा गांधी के साथ होने के कारण इस प्रकार की घोषणा करने वाले ,जिन्हें सिंडिकेट कहा जाता था, स्वयं कांग्रेस में नगण्य हो गए।[1] इसी उपरान्त एस. निजलिंगप्पा को ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ का अध्यक्ष चुना गया और उनके ही कार्यकाल में कांग्रेस का विभाजन हो गया।

मुख्यमंत्री
एस. निजलिंगप्पा की गणना मैसूर के प्रमख नेताओं में होने लगी थी, और वे 1956 में मैसूर के मुख्यमंत्री भी बने। एकीकरण के लिये निजलिंगप्पा की सेवायें अद्भुत थीं और इसकी कदर करते हुए उन्हें कर्नाटक का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया। वह दोबारा मुख्यमंत्री बने और अप्रैल, 1968 तक रहे।

जेल यात्रा
निजलिंगप्पा को स्वतंत्रता संग्राम मे भाग लेने के कारण जेल यात्राएँ करनी पड़ी

विशेष
एस. निजलिंगप्पा को “आधुनिक कर्नाटक का निर्माता” कहा जा सकता है। 1967 में जब देश के लोगों ने कांग्रेस में विश्वास करना छोड़ दिया, वह इसके अध्यक्ष बने निजलिंगप्पा के अथक प्रयासों से कांग्रेस में फिर से नया जीवन आ गया। लेकिन शायद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में सबसे बड़ी दुःखद घटना उनके अध्यक्ष होने के समय घटी संगठन मोर्चे तथा प्रशासन के उग्र पक्ष के बीच दुर्भाग्यपूर्ण रूप से दरार आ गयी, और निजलिंगप्पा इंदिरा गांधी के विपक्ष में चले गये।

निधन
एस. निजलिंगप्पा का निधन 8 अगस्त, 2000 को चित्रदुर्ग में हुआ था

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