मध्य प्रदेश में वंदे मातरम् गायन को लेकर विवाद खड़ा होता दिख रहा है. दरअसल पूर्व भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार में महीने के पहले कामकाजी दिन सचिवालय में राष्ट्र गीत गाया जाता था. लेकिन नवनिर्वाचित कमलनाथ सरकार में साल के पहले दिन ही इसका पालन नहीं हुआ. जिसे लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सफाई दी है कि इस आदेश को नए रूप में लागू किया जाएगा. साथ ही उन्होंने पूछा है कि जो वंदे मातरम् नहीं गाते वो राष्ट्रभक्त नहीं हैं?
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस परंपरा के टूटने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा था कि यदि कांग्रेस को राष्ट्र गीत के गायन में शर्म आती है, तो हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन (सचिवालय) के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम् गाएंगे. सियासी बवाल बढ़ता देख मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सफाई दी है कि सचिवालय में महीने के पहले दिन वंदे मातरम् के गायन संबंधी आदेश को स्थगित कर दिया है. निर्णय लिया गया है कि इस आदेश को नए रूप में लागू किया जाएगा. साथ ही उन्होंने पूछा कि जो वंदे मातरम् नहीं गाते वो राष्ट्रभक्त नहीं हैं?
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने ट्वीट में कहा था कि वंदे मातरम् के कारण लोगों के हृदय में प्रज्वलित देशभक्ति की भावनाओं में नई ऊर्जा का संचार होता था. अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस की सरकार ने यह परंपरा आज तोड़ दी. पहली तारीख़ को वंदे मातरम् नहीं गाया गया!
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार में वंदे मातरम् का गान हर सप्ताह कैबिनेट मीटिंग से पहले सभी मंत्रियों द्वारा किया जाता था और हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन (सचिवालय) के प्रांगण में वंदे मातरम् गान में सभी कर्मचारी और अधिकारी गण उपस्थित रहते थे. लेकिन इस बार साल 2019 के पहले कामकाजी दिन पर राष्ट्रगीत नहीं गाया गया. जिसे लेकर विवाद हो रहा है.