मध्यप्रदेश में बाघों की सुरक्षा के लिए भले ही करोड़ों का बजट खर्च हो रहा हो लेकिन सरकार इस मामले में फिसड्डी साबित हो रही है. वर्ष 2016 की गणना के अनुसार मध्यप्रदेश में 252 बाघ हैं लेकिन उनके मूवमेंट पर निगाह रखने वाले रेडियो कॉलर मात्र 30 हैं. यही वजह के पिछले 6 सालों में प्रदेश में 105 बाघ मारे जा चुके हैं. सूचना के अधिकार में मिली जानकारी में यह खुलासा हुआ.
कब कितने बाघ मरे
1 जनवरी से 4 दिसंबर 2018 के बीच 25, 2017 में 10, 2016 में 31, 2015 में 13, 2014 में 15 और 2013 में 11 बाघ मारे गए. 6 सालों में कुल 105 बाघ मारे गए. बाघों की मौत का कारण भी चौंकाने वाले हैं.
कैसे हुई 105 बाघों की मौत
जहर-4
करंट-18
शिकार और फंदा लगाकर- 15
आपसी लड़ाई-39
प्राकृतिक-9
वृद्धावस्था-2
एक्सीडेंट -5
कुंए में डूबने से-1
अज्ञात-4
बीमारी-7
मां के द्वारा त्याग किया जाना-1
252 बाघों पर सिर्फ 30 रेडियो कॉलर
आरटीआई एक्टिविस्ट पुनीत टंडन ने बताया कि मध्यप्रदेश में लगातार बाघों की मौत हो रही है. जब उसके आंकड़े जानने के लिए आरटीआई लगाई तो चौंकाने वाले तथ्य आए. प्रदेश में 252 बाघ हैं लेकिन उन पर नजर रखने के लिए सिर्फ 30 रेडियो कॉलर. ऐसे में कैसे प्रदेश में बाघ सुरक्षित रह पाएंगे. यहीं कारण है 5 सालों में 105 बाघों की मौत हो चुकी है. ताज्जुब वाली बात है कि जहर और करंट से भी बाघ मारे गए हैं. आरटीआई से मिली जानकारी पर प्रतिक्रिया जानने के लिए वन विभाग के अधिकारी को फोन किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया.
क्या होता है रेडियो कॉलर
रेडियो कालर दो प्रकार के होते हैं. बाघों के लिए दोनों प्रकार के रेडियो कॉलर का उपयोग किया जा सकता है. सेटेलाइट बेस्ड GPS (Global Positioning System) व रेडियो बेस्ड वीएचएफ (बहुत उच्च आवृत्ति) रेडियो कॉलर से घर बैठे ही अधिकारी उस बाघ की हर गतिविधि की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें रेडियो कॉलर लगा होता है. सेटेलाइट सिस्टम से कंप्यूटर, टीवी अथवा एलईडी में भी उनकी सारी गतिविधियां, विचरण क्षेत्र की जानकारी मिलती रहती है. इसकी कीमत करीब 5 लाख रुपये होती है