मंत्रिमंडल द्वारा सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दिए जाने के बाद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि इस निर्णय के पीछे का इरादा जनता का वास्तव में कल्याण करने के बदले राजनीति ज्यादा है.
सुरजेवाला ने कहा, ‘भारत सदी की सबसे बुरी बेरोजगारी के कगार पर खड़ा है, जब बेरोजगारी दर 7.3 प्रतिशत हो गई है. पिछले 23-24 महीनों में यह सर्वाधिक है. नोटबंदी की आफत और जीएसटी के गलत क्रियान्वयन के कारण करोड़ों नौकरियां खत्म हो गईं.’सुरजेवाला ने कहा, ‘इससे बुरी बात यह कि मोदी सरकार ने संसद में स्वीकार किया कि सरकारी क्षेत्र में 24 लाख पद खाली पड़े हैं, जिसे सरकार 4.5 सालों में भर नहीं पाई है.’
उन्होंने कहा, ‘हम आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए आरक्षण के निर्णय का समर्थन करते हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि नौकरियां हैं कहा. सरकार लाखों नौकरियों को नष्ट करने के बाद, बगैर कोई नौकरी पैदा किए, जब अगला चुनाव महज 100 दिनों दूर रह गया है, तब अचानक जागती है और आरक्षण दे रही है.’
सुरजेवाला ने कहा, ‘नौकरियां पैदा किए बगैर ऊंची जातियों के लिए आरक्षण सिर्फ चुनावी जुमला ही साबित होगा.’ उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या सरकार के पास नौकरियां पैदा करने, और नोटबंदी व गलत जीएसटी के कारण समाप्त हुईं नौकरियों को फिर से वापस लाने की कोई कार्ययोजना है.