लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगियों के साथ खड़ा होकर राजनीतिक संदेश देना चाहती है. एक दिन पहले ही कोलकाता में करीब 20 विपक्षी पार्टियों के नेता एकत्रित हुए और उन्होंने मोदी सरकार को उखाड़ने का संकल्प लिया.
सूत्रों के मुताबिक रैली पटना में होगी. इसमें लोकजनशक्ति पार्टी भी साझेदार बनेगी.
नीतीश और मोदी का साथ आना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2002 के बाद नीतीश ने सावर्जनकि रूप से कहा था कि मोदी को बिहार कैंपेन करने नहीं आना चाहिए. 2005 और 2010 विधानसभा चुनाव में मोदी बिहार प्रचार के लिए नहीं गए. मोदी 2009 को लोकसभा चुनाव के दौरान भी प्रचार के लिए नहीं गए थे.
2013 में नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था. उस वक्त नीतीश कुमार का कहना था कि नरेन्द्र मोदी को भाजपा पीएम बनाना चाहती है, लिहाजा वे उनके साथ आगे नहीं बढ़ सकते हैं.
2014 में जदयू और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़ी थी.2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी ने नीतीश के डीएनए पर एक बयान दिया था, जिसे लेकर खूब बवाल मचा था. नीतीश ने इसे बिहार की अस्मिता के साथ जोड़ दिया था.
2017 में नीतीश कुमार फिर से एनडीए में लौट गए. उन्होंने लालू यादव और उनकी पार्टी पर काम नहीं करने देने का आरोप लगाया था. नीतीश कुमार ने मोदी के नोटबंदी की घोषणा का समर्थन किया था. हालांकि, बाद में इसके लागू होने में जो खामियां सामने आई, इसे लेकर वो सरकार का विरोध करने लगे.