भारत की महानतम फिल्मों में शुमार मदर इंडिया ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सफलता का परचम लहराया था. कई मायनों में इसे भारत की सबसे ऐतिहासिक फिल्म के तौर पर भी शुमार किया जाता है. साल 1957 में रिलीज़ हुई इस फिल्म की लोकप्रियता का असर ही था कि इसे उस साल ऑस्कर अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म के लिए नॉमिनेट किया गया था.
महबूब खान द्वारा निर्देशित इस फिल्म में नरगिस ने राधा की भूमिका निभाई थी. राधा के पति श्यामू का एक्सीडेंट हो जाता है जिसके बाद वो काम करने में असमर्थ होता है. गांववालों की शर्म के चलते वो अपना घर छोड़ देता है और दो बच्चों की जिम्मेदारी राधा पर आ पड़ती है. भुखमरी, तूफान, बाढ़ और पाखंडी जमींदार जैसे कई कठिन हालातों के बावजूद राधा अपने बच्चों को पाल पोसकर बड़ा करती है और फिल्म के क्लाइमैक्स में मां की भूमिका को नए स्तर पर ले जाते हुए मदर इंडिया कहलाती है. अकेडमी अवॉर्ड्स उर्फ ऑस्कर्स में शामिल होने के लिए फिल्म के डायरेक्टर महबूब खान अपनी पत्नी के साथ हॉलीवुड भी पहुंचे थे. इस फिल्म के बाद महबूब ने सन ऑफ इंडिया नाम की फिल्म भी बनाई थी पर वो फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धराशायी हो गई थी.
मदर इंडिया तीसरे पोल के बाद महज एक वोट से ऑस्कर अवॉर्ड जीतने से चूक गई थी. उस साल बेस्ट फॉरेन फिल्म का अवॉर्ड इटालियन प्रोड्यूसर डीनो डे लॉरेन्टिस की फिल्म ‘नाइट्स ऑफ केबिरिया’ को मिला था. इस फिल्म के दौरान ही सुनील दत्त और नरगिस करीब आए थे.
दरअसल, फिल्म में गुजरात के शहर सूरत में एक फायर सीन फिल्माया गया था. उस दौरान नरगिस को कहा गया था कि उन्हें आग की लपटों के बीच भागना है. हालांकि हवा की दिशा में बदलाव की वजह से वहां आग फैल गई थी और नरगिस इन लपटों के बीच फंस गई थी. फिल्म में नरगिस के बेटे की भूमिका निभाने वाले सुनील दत्त ने भागकर उन्हें बचाया था. वे कंबल लेकर अंदर कूद पड़े थे और नरगिस को बचा लाए थे. सुनील को चेहरे और छाती पर काफी चोट भी आई थी और उन्हें काफी तेज बुखार भी हो गया था. नरगिस ने इस दौरान उनकी काफी मदद की थी. फिल्म वेबसाइट आईएमडीबी के मुताबिक, इस घटना के बाद से नरगिस का सुनील के प्रति प्रेम जागृत हुआ था और दोनों ने जल्द शादी कर ली थी.