इंसान के दिल में कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो कामयाबी भी इंसान के कदमों को चूमती है. आज हम आपको एक ऐसी सफलता की कहानी बताएंगे जिससे कई लोगों को सीख भी मिलेगी और आपका भी सर गर्व से ऊंचा हो जाएगा.
आज से साठ साल पहले हिमाचल के ऊना जिले के पनोह गांव में एक किसान भगत सिंह और माता सुरजीत कौर के घर में एक बच्चे का जन्म हुआ. बच्चे का जय चौधरी रखा गया. उन दिनों देश में पढ़ाई लिखाई के साधन सीमित थे. शिक्षण संस्थानों की कमी थी, लेकिन कहते हैं हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फारसी क्या. जय चौधरी बचपन से पढ़ाई लिखाई में होशियार थे.
आज अपनी मेहनत के दम पर भारतीय मूल के जय चौधरी आज दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं. वो साइबर सिक्योरिटी फर्म जीस्केलर के फाउंडर हैं. जय चौधरी कुछ दशक पहले अमेरिका की सिलिकॉन वैली के सबसे अमीर लोगों की सूची में शुमार हुए थे.
अपनी मेहनत के बल पर उन्होने ये साबित कर दिया कि किवंदतियों का मिथक तोड़ दिया है कि ग्रामीण और सरकारी स्कूलों का परिवेश सफलता में बाधा है. साइबर सिक्योरिटी कंपनी जीस्केलर के संस्थापक चौधरी की प्रतिभा ने दुनिया को अपना मुरीद बनाया है. बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले इस शख्स ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई से लेकर बनारस में बीटेक करने के बाद अमेरिका में अपना मुकाम पाया. उनकी कंपनी जीस्केलर की वेल्यू 3.4 अरब डॉलर है. उनके पास इस समय 3 अरब (21 हजार 300 करोड़ रुपये) की दौलत है.