माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बीके कुठियाला ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपने ऊपर लगे आरोपों पर हैरानी और दुख जताया है। उन्होंने कहा है कि मुझे आरोपी बना लिया गया है, लेकिन मेरा पक्ष नहीं सुना गया है।
आर्थिक अपराध ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने रविवार को पूर्व कुलपति कुठियाला समेत 20 अन्य प्रोफेसर के खिलाफ आर्थिक अनियमितता का आरोपी मानते हुए एफआईआर दर्ज की थी। इसमें पूर्व कुलपति के विश्वविद्यालय के खर्चे पर पत्नी को लंदन घुमाने और इलाज के लिए विश्वविद्यालय से खर्च कराना शामिल है।
रविवार को हुई ईओडब्ल्यू की एफआईआर में जिक्र किया है कि 2003 से 2018 के बीच संस्थान में यूजीसी के नियमों के विपरीत अपात्र व्यक्तियों की नियुक्ति की गई है। कुठियाला ने विश्वविद्यालय के अकाउंट से संघ से जुड़ी संस्थाओं व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सहित अन्य संस्थाओं काे मनमाने भुगतान किए हैं। इसके अलावा खुद व परिवार के सदस्यों पर भी खर्च किया।
खास बात यह है कि विवि के रजिस्ट्रार दीपेंद्र सिंह बघेल ने दो दिन पहले ईओडब्ल्यू को इन गड़बड़ियों पर एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्र लिखा था। लेकिन रविवार शाम 5 बजे एफआईआर दर्ज करने के बाद विश्वविद्यालय में हलचल तेज हो गई और विरोध शुरू हो गया। इसके बाद बघेल ने कहा कि ईओडब्ल्यू को जांच के बाद ही कार्रवाई करना थी, क्योंकि पहले जो जांच हुई है वह प्रारंभिक रिपोर्ट थी। पूर्व कुलपति बीके कुठियाला ने कहा कि मेरे और विश्वविद्यालय में कार्यरत मेरे 19 मित्रों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। इसका आधार तीन सदस्यीय कमेटी की जांच है। हैरानी और दुख हुआ है। जिनको आरोपी बनाया गया, उनका पक्ष तो सुना ही नहीं गया है।
एक व्यवस्था में आपके काम की सराहना होती है और उसके लिए आपको पुरस्कृत किया जाता है। परंतु दूसरी व्यवस्था उसी काम को दंडनीय बनाने का प्रयास करती है। ये तो प्रजातांत्रिक व्यवस्था को ही हास्यापद बना देती है। मैं स्पष्ट बता देना चाहता हूं कि मेरे कार्यकाल में हुए सारे कार्य विश्वविद्यालय, राज्य सरकार व यूजीसी के नियमानुसार हुए हैं। आर्थिक सुचिता पूर्ण रूप से व्यवहार में लाई गई है। कुलपति होने के नाते मैं अपनी टीम के सभी कार्यों के लिए जिम्मेदार हूं। झूठ और अर्ध सत्य पर आधारित आरोप अधिक दिन नहीं चलेंगे। जांच व्यवस्था पर हमारा पूर्ण विश्वास है और हमारी ओर से सब प्रकार का सहयोग मिलेगा