सतलुज यमुना लिंक (एस.वाई.एल.) नहर के विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी पंजाब सरकार गंभीर नहीं है। मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान निर्देश दिए थे कि हरियाणा व पंजाब बैठकर इस मामले में संयुक्त हल निकालने का प्रयास करें। दोनों राज्यों की बैठक केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद होनी है। पंजाब सरकार ने अभी तक केंद्र सरकार से इस बारे में बातचीत नहीं की है, जबकि 7 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
पंजाब व हरियाणा की सियासत में एस.वाई.एल. का मुद्दा सालों से जिंदा है। दोनों राज्यों की सियासत में कभी कांग्रेस तो कभी अकाली दल या हरियाणा की क्षेत्रीय पार्टियां चुनावी मुद्दा बनाकर अपनी सियासत चमकाती रही हैं।
चुनाव हो गया और कांग्रेस सत्ता में आ गई। छह महीने पूरे होने वाले हैं और एस.वाई.एल. को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस की पैरवी की बात तो दूर पंजाब पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन भी नहीं कर पा रहा है। पंजाब को अभी तक सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार हरियाणा के साथ बातचीत करने के लिए केंद्र सरकार के साथ बातचीत की पहल करनी चाहिए थी। सात को कोर्ट में मामले की सुनवाई है । अगर मामले को पंजाब सरकार ने इसी प्रकार हल्के में लिया तो तय है कि इस मामले में हरियाणा पंजाब पर भारी पड़ेगा।