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इस परिवार के पास रहती है काबा की चाभी, जानें काबा की 10 बातें…

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सऊदी अरब में मुस्लिमों के सबसे पवित्र स्‍थान मक्‍का में काबा को खुदा का घर कहा जाता है। काबा को सिर्फ उसी परिवार की इजाजत से खोला जाता है जिसके पास इसकी चाभी रहती है।

खुदा का घर है काबा

खुदा ने हजरत इब्राह‌िम से उनके बेटे की कुर्बानी मांगी और उन्होंने ब‌िना ह‌िचके कुर्बानी दे दी। खुदा ने उनके बेटे को जानवर में बदल द‌िया था इसल‌िए उनके बेटे की कुर्बानी नहीं हुई। खुदा ने इब्राह‌िम और ईस्माइल को अपना पैगंबर बना ल‌िया और उनसे अपने ल‌िए एक घर बनवाया।

शैबा परिवार के पास है काबा की चाबी

काबा की चाबियां बनी शैबा परिवार के पास रहती हैं और चाहे कोई कितनी बड़ी हस्ती ही क्यों न हो, काबा में दाखिल होने के लिए इनसे इजाज़त लेनी ही होती है

जन्नत में भी है एक काबा

कुरआन में बताया गया है कि बिल्कुल इस जैसा ही काबा जन्नत में भी है जहां हर दिन 70 हजार फरिश्ते उसकी परिक्रमा करते हैं।

आधुकनिक तकनीकों से लैस है काबा

काबा जैसा हमें आज दिखता है ये हमेशा से ऐसा नहीं था। कई प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं को झेलने के बाद इसको निर्माण की आवश्यकता पड़ती रही। आखिरी बार 1996 में इसमें कुछ बदलाव किए गए थे। उम्मीद की जाती है कि आधुकनिक तकनीकों से लैस होने के बाद कई सदियों तक इसको कोई नुकसान नहीं होगा।

खुदा के घर का सिर्फ एक रास्‍ता

सबसे पहले काबा में एक दरवाजा अंदर आने के लिए और एक दरवाजा बाहर निकलने के लिए था। काफी समय तक यहां एक खिड़की भी रही। आज की तारीख में काबा में केवल 1 दरवाजा है और कोई खिड़की नहीं है।

सुनहरी पट्टी है काबा की पहचान

आज काबा की पहचान बने काले रंग की जगह कभी हरे, लाल और सफेद रंगों ने ले रखी थी। आज तो काले रंग पर सुनहरी पट्टी के बिना इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।

तैर कर करते थे परिक्रमा

घाटी के निचले हिस्से में स्थित होने कारण काबा में बारिश के वक्त अक्सर पानी भर जाया कर जाता था। लेकिन इसका श्रद्धालुओं पर कोई असर नहीं पड़ता था। वह तैर कर काबा की परिक्रमा करते थे। बाद में आस-पास की जगह में कुछ बदलाव करके ऐसी स्थितियों पर काबू पा लिया गया और गहरी आस्था का वह दृश्य दोबारा देख पाना मुश्किल हो गया।

इसलिए क्‍यूब बना काबा

शुरुआत में काबा का आकार रेक्टैंगल तय किया गया था लेकिन उसके निर्माण में लगाई जाने वाली राशि केवल पवित्र स्रोतों से आ सकती थी। गलत कामों से अर्जित धन का इस्तेमाल मना कर दिया गया जिसके बाद आकार को छोटा कर क्यूब बनाना पड़ा।

टूटा हुआ है काला पत्थर

कई लोगों का मानना है कि काबा का काला पत्थर एक इस्माइली समूह द्वारा चुरा लिया गया था और जब उनसे वह वापस हासिल किया गया तो वह टुकड़े-टुकड़े हो चुका था। कहते हैं कि आज भी कुछ हिस्से पाए नहीं जा सके हैं।

मुसलमानों को जोड़ता है काबा

काबा के इतिहास में छिपी हैं कई गौरवपूर्ण बातें तो कई सीखें भी। इसका इतिहास केवल एक कहानी नहीं है बल्कि दुनियाभर के मुसलमानों को जोड़ने वाली कड़ी का सुनहरा अध्याय है।

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