आपने दिल्ली के उपराज्यपाल और दिल्ली की केजरीवाल सरकार के बीच टकराव की खबरें तो देखीं और सुनी होंगी लेकिन अब लगता है कि मध्य प्रदेश में भी उसी तरह के हालात बन रहे हैं. ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कांग्रेस का आरोप है कि मध्य प्रदेश में मेयर के अप्रत्यक्ष चुनाव का बिल राज्यपाल के पास है जिसे उन्होंने अबतक उसे पास नहीं किया है.
कमलनाथ कैबिनेट ने 25 सितंबर को निकाय एक्ट में बदलाव कर पार्षदों के जरिए मेयर के चुनाव का बिल पास कर दिया था. रविवार को कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने ट्वीट कर कहा कि राज्यपाल को महापौर चुनाव बिल नहीं रोकना चहिए.
विवेक तन्खा ने ट्वीट किया, ‘सम्मानीय राज्यपाल आप एक कुशल प्रशासक थे. संविधान में राज्यपाल कैबिनेट की अनुशंसा के तहत कार्य करते हैं. इसे राज्य धर्म कहते हैं. विपक्ष की बात सुनें, मगर महापौर चुनाव बिल नहीं रोके. यह गलत परंपरा होगी. जरा सोचिए’. जाहिर है कांग्रेस का आरोप है कि बिल राजभवन पहुंच चुका है जिसके पास होने का इंतजार फिलहाल सरकार कर रही है.
इस बीच बीजेपी नेताओं ने 4 अक्टूबर को राज्यपाल से मुलाकात कर मेयर के अप्रत्यक्ष चुनाव रोकने की मांग की है. भोपाल के पूर्व और वर्तमान मेयर उमाशंकर गुप्ता और आलोक शर्मा ने राज्यपाल से मुलाकात की और ऑल इंडिया कौंसिल ऑफ मेयर की तरफ से उन्हें ज्ञापन सौंपा. बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार अप्रत्यक्ष प्रणाली से जो चुनाव कराने जा रही है इससे नगर निगमों में अस्थिरता, भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा इसलिए इसपर रोक लगाई जाए