मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान का कई गुना फल मिलता है. इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रही है. मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की विशेष पूजा-आराधना से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन किए जाते हैं कुछ विशेष प्रयोग करने से जीवन में खुशियां आती है.
मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन बुधवार को प्रात: 7 बजकर 19 मिनट बजे से आरंभ होगी. ज्योतिष के अनुसार, यह बहुत ही शुभ समय माना जाता है. समस्त शुभ कार्यों की शुरुआत इस संक्रांति के पश्चात ही होती है. मकर संक्रांति स्नान के लिए सुबह 7 बजकर 19 मिनट से 9 बजकर 3 मिनट तक का समय सर्वश्रेष्ठ रहेगा.
मकर संक्रांति 15 जनवरी 2020
संक्रांति काल- 07:19 बजे (15 जनवरी 2020)
पुण्यकाल 07:19 से 17:42 बजे तक
महापुण्य काल 07:19 से 09:03 बजे तक
संक्रांति स्नान प्रात:काल, 15 जनवरी 2020
सूर्य का किसी राशी विशेष पर भ्रमण करना संक्रांति कहलाता है. सूर्य हर माह में राशी का परिवर्तन करता है. वर्ष की बारह संक्रांतियों में से दो संक्रांतियां सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं. मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति. सूर्य जब मकर राशी में जाता है तब मकर संक्रांति होती है. मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की.
मकर संक्राति एक ऐसा त्योहार है जिस दिन किए गए काम अनंत गुणा फल देते हैं. संक्राति के दिन सूर्य वरदान बनकर चमकते हैं. मान्यता है कि संक्राति के दिन शुभ मूहूर्त में नदियों का पानी अमृत में बदल जाता है. संक्राति के दिन किया गया दान लक्ष्मी की कृपा बनकर बरसता है. मकर संक्रांति को दान, पुण्य और देवताओं का दिन कहा जाता है. ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान से तमाम जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. ज्योतिषियों के मुताबिक, इस बार कई कारणों से मकर संक्रांति खास है. यह तिथि पुण्य स्नान और दान के लिए विशेष मानी गई है. ऐसे में ज्योतिर्विद अरविंद शुक्ला से जानते हैं कि मकर संक्रांति पर स्नान, दान का शुभ मुहूर्त का समय कब है और पुण्य काल का क्या महत्व है-
मकर संक्रांति के दिन सिर्फ खिचड़ी ही नहीं तिल से जुड़े दान और प्रयोग भी लाभ देते हैं .दरअसल ये मौसम में परिवर्तन का समय होता है. ऐसे में तिल का प्रयोग विशेष हो जाता है. साथ ही मकर संक्रांति सूर्य और शनि से लाभ लेने का भी खास दिन होता है. मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं. शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है.
ज्योतिष विज्ञान ये मानता है कि मकर संक्रांति के दिन किया गया दान सौ गुना फल देता है. मकर संक्रान्ति के दिन घी-तिल-कंबल-खिचड़ी दान का खास महत्व है. मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन तिल गुड़ और खिचड़ी के दान से किस्मत बदलती है. खुशी और समृद्धि के प्रतीक मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल में दान देना, स्नान करना या श्राद्ध कार्य करना शुभ माना जाता है. शास्त्रों में मकर संक्रांति पर गंगा स्नान की विशेष महिमा बताई गई है