प्याज खरीदी के घोटाले से जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि प्याज खरीदी में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी समय पर नियंत्रित नहीं करने से उसके दाम सातवें आसमान तक पहुंचे। कोर्ट ने कहा कि प्याज खरीदी में अनियमितताओं के कारण आज तक प्याज के दाम स्थिर नहीं हुए हैं और जनता परेशान हो रही है।
इतना ही नहीं घोटाले के कारण सरकार की भी बदनामी हुई। इस मत के साथ जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने मंडी बोर्ड सागर के उप संचालक प्रवीण वर्मा के निलंबन पर किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध संचालक अशोक कुमार वर्मा और संयुक्त संचालक एसके कुमरे को 15 दिन के भीतर जवाब पेश करने के निर्देश दिए।
सरकार ने 27 दिसंबर 2019 को उप संचालक प्रवीण वर्मा को निलंबित कर दिया था। निलंबन आदेश में कहा गया कि प्रवीण वर्मा की मौजूदगी में व्यापारियों ने प्याज खरीदी में व्यापक गड़बड़ियां कीं और वे इसे रोकने में असफल रहे। प्रवीण वर्मा तब हरकत में आए जब सरकार ने जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया, जिसमें एक सदस्य प्रवीण भी थे। प्रवीण ने निलंबन आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि उन्होंने जांच में पूरा सहयोग किया है और दोषी दुकानदारों को नोटिस भी दिए। दलील दी कि जांच के तथ्यों और रिपोर्ट से तत्काल कलेक्टर और अन्य उच्चाधिकारियों को अवगत भी कराया।
कोर्ट ने कहा- प्याज घोटाले की जांच के लिए कमेटी बनाने के बाद ही आवेदक हरकत में आए। यह घोटाला उनके क्षेत्राधिकार में हुआ है और इसे नियंत्रित करने में विफल रहने के चलते ही उन्हें निलंबित किया है। भोपाल कार्यालय के आदेश के बाद ही जांच कमेटी का गठन हुआ और उसके बाद ही कोई कार्रवाई शुरू हुई। इससे स्पष्ट है कि वर्मा को अनियमितताओं का पता भोपाल से चला जो कि उनकी अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीनता को दिखाता है।