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शिमला, मनाली और धर्मशाला की हवा भी जहरीली…

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सैलानियों के बढ़ते दबाव और वाहनों की अधिक संख्या के कारण अब पहाड़ों की शुद्ध हवा भी प्रदूषित होने लगी है। ग्रीन पीस इंडिया की हाल ही में जारी सर्वे रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि हिल्स क्वीन शिमला, मनाली और धर्मशाला जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों की हवा भी जहरीली हो रही है। इन शहरों में (पीएम) पर्टिकुलेट मैटर 10 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों से दो से तीन गुना अधिक है। देश के दूषित शहरों की सूची में प्रदेश के 11 शहर भी शामिल हैं।

प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर फार्मा उद्योगों का हब बद्दी है। देश के प्रदूषित शहरों में बद्दी 36वें स्थान पर है। यहां का पीएम 10  लेवल 164 पाया गया है, जो सामान्य स्तर से करीब आठ गुना अधिक है। सूची में नालागढ़ 47वें स्थान पर है। यहां का पीएम 10 लेवल 148 रिकॉर्ड किया गया है। कालाअंब 116 पायदान पर है। पांवटा साहिब, सुंदरनगर और अन्य शहर भी इसमें शामिल हैं। हर साल लाखों की संख्या में आने वाले सैलानियों और हजारों वाहनों की आवाजाही का दबाव झेल रहा मनाली प्रदेश का सबसे प्रदूषित पर्यटन स्थल है। यहां का पीएम लेवल 68 है जो मानकों से तीन गुना से भी अधिक है। मनाली में वर्ष 2017 में पीएम 10 लेवल 44 था। हैरानी की बात है कि मनाली प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों परवाणू, ऊना और डमटाल से भी अधिक प्रदूषित है।

शिमला का पीएम लेवल 60 है, जो खतरे की घंटी है। यहां वर्ष 2013 से देखें तो हवा में धूल के कण करीब 16 प्वाइंट बढ़े हैं। प्रदूषित शहरों की सूची में शिमला 233वें स्थान पर है। 269वें स्थान पर पर्यटन स्थल धर्मशाला का पीएम लेवल 39 है। वर्ष 2017 में यहां का पीएम 36 रिकॉर्ड किया गया है।10 पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) यानी हवा में ठोस और द्रव्य उन कणों को कहा जाता है जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक हैं। इसकी मात्रा तय मानकों से अधिक होने से श्वास रोग, दिल की बीमारियां और कैंसर का खतरा अधिक हो जाता है। इनका स्तर 20 से अधिक होने के बाद यह नुकसानदेह होने लगता है।

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