भारत से 5 टन कार्गाे दवा भेजे जाने पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो भी मोदी का आभार जता चुके हैं। मेडिसिन की खेप में कोरोनावायरस संकट से निपटने में सहायक एंटी मलेरिया मेडिसिन क्लोरोक्विन और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन हैं। इसे उपलब्ध कराने के लिए अमेरिका, ब्राजील से लेकर इजराइल तक ने भारत से मदद मांगी थी। इसके बाद मोदी ने वैश्विक महामारी को खत्म करने और मानवता के लिए इन दवाओं को उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था।
गुरुवार शाम को नेतन्याहू ने ट्वीट किया, ‘‘क्लोरोक्विन भेजने के लिए इजराइल के सभी नागरिकों की ओर से शुक्रिया मेरे प्यारे दोस्त नरेंद्र मोदी।’’ दवाइयों से भरा विमान मंगलवार को इजराइल पहुंचा था। इजराइल ने भारत से 3 अप्रैल को क्लोरोक्विन और हा
दवा उपलब्ध कराने को कहा था। इसके बाद भारत ने मंगलवार को दवाइयों की खेप इजराइल को मुहैया करा दी। इससे पहले 13 मार्च को भी इजराइल ने मास्क और दूसरी जरूरी चिकित्सीय सहायता की मांग की थी। इजराइल में फिलहाल 10 हजार से ज्यादा कोरोनावायरस के मामले सामने आ चुके हैं। 86 लोगों की जान चुकी है। 121 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।
भारत इस दवा का दुनिया में प्रमुख उत्पादक और निर्यातक है। 25 मार्च को भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर रोक लगाई थी, लेकिन महामारी से निपटने के लिए कई देशों के अनुरोध पर 6 अप्रैल को डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन समेत 14 दवाईयों के निर्यात पर लगी रोक को हटाने की बात कही।
क्लोरोक्विन दवा का शुरुआत में इस्तेमाल मलेरिया के लिए होता था, बाद में इसका उपयोग गठियावात और दर्द निवारक के तौर पर होने लगा। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन उसी दवा का एडवांस वर्जन है। अब तक की जांच में यह साबित हुआ है कि यह दवा कोरोना के इलाज में कुछ हद तक कारगर है। बचाव के अलावा अभी इस बीमारी का काई और इलाज नहीं है, इसलिए यही दवा इस्तेमाल में लाई जा रही है।