समाज में पुरुष और महिलाओं के कामों को हमेशा से अलग-अलग करके देखा गया है. चाणक्य ने भी पुरुष और महिलाओं के कामों को लेकर अपने नीति शास्त्र में कुछ बातों का उल्लेख किया है. वो एक श्लोक के द्वारा यह बताते हैं कि तीन प्रकार के लोग जब भ्रमण करते हैं तो उनकी पूजा होती है और स्त्री जब भ्रमण करती है तो वो बदनाम हो जाती है. आइए जानते हैं उन तीन लोगों के बारे में…
भ्रमन्सम्पूज्यते राजा भ्रमन्सम्पूज्यते द्विज:।
भ्रमन्संपूज्यते योगी स्त्री भ्रमन्ती विनाश्यति।।
चाणक्य इस श्लोक में चार लोगों का जिक्र करते हैं. वो कहते हैं कि जो राजा या शासक अपने क्षेत्र में खूब भ्रमण करता है, जनता उसकी पूजा करती है, उसे मान सम्मान मिलता है. भ्रमण के द्वारा ही राजा या शासक अपनी प्रजा या जनता का दुख जान सकता है. इसके बाद वो उस दुख को दूर करता है और पूजनीय हो जाता है.
चाणक्य के मुताबिक राजा की तरह ही ब्राह्मण यानी विद्वान और योगी संसार में भ्रमण करते हैं तो उनकी पूजा होती है. दरअसल, वो घूम-घूमकर शास्त्रों का ज्ञान बांटते हैं. साथ ही एक स्थान पर रुके हुए विद्वान को प्रसिद्धि नहीं मिल पाती. वो तभी अपने उद्देश्य में सफल हो सकता है जब वो अपने ज्ञान को संसार में लोगों के बीच बांटे. इससे उसका जीवन भी सार्थक होता है और लोग उसकी पूजा भी करते हैं.
इसके विपरीत चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई स्त्री बिना किसी उद्देश्य के भ्रमण करती है तो उसकी बदनामी होती है, समाज उसे गलत मानता है, उन्हें सम्मान नहीं मिल पाता और उसका विनाश हो जाता है.