इंगतपुरी के गर्ल्स हॉस्टल में एक महीने से ठहरे थे। घर की बहुत याद आ रही थी। कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा था। परेशान थे। शुक्रवार सुबह अचानक खबर मिली कि तैयार रहो आप लोगों को भोपाल और वहां से फिर आपके घर छोड़ा जाएगा। यह सुनकर भूख गायब हो गई। घर के सदस्यों को फोन करके बताया तो वे भी खुश हो गए। आज तड़के विशेष ट्रेन से भोपाल में उतर कर बहुत खुश हैं। यह कहना है दतिया जिले के हेमंत केवट व अन्य जिलों के दर्जनों मजदूरों का। हेमंत केवट ने बताया कि वह अपने परिवार के चार सदस्यों के साथ महाराष्ट्र के कल्याण में फूलों का करने गया था। लाकडाउन के बाद से काम बंद हो गया, वे किसी तरह घर जाने के लिए 1 महीने पहले निकले थे जिन्हें इंगतपुरी में प्रशासन ने पकड़ लिया और एक गर्ल्स हॉस्टल में कवारांटाइन कर दिया।
हेमंत ने बताया कि इस दौरान कई संघर्षों से गुजरना पड़ा। हालांकि प्रशासन ने ध्यान रखा लेकिन घर में खुद के हाथों से निकालकर खाना खाने में और दूसरों के द्वारा दिए गए खाने से पेट भरने और जीवन यापन करने में बहुत दिक्कत होती है। इस तरह 1 महीने तक नासिक के हॉस्टल में गुजरना पड़ा है। महाराष्ट्र के नासिक से शनिवार तड़के भोपाल के मिसरोद स्टेशन पर उतरे अन्य मजदूरों ने भी इसी तरह 1 महीने के संघर्ष की कहानी सुनाई।