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लॉकडाउन बढ़ने के साथ ही हाईकोर्ट और अधीनस्थ कोर्ट में 17 मई तक नहीं होगी नियमित सुनवाई…

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शनिवार को नई एडवाइजरी जारी कर प्रदेश की सभी अदालतों में 17 मई तक नियमित सुनवाई नही किए जाने के निर्देश दिए है। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल राजेंद्र कुमार वाणी ने आज हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एके मित्तल के आदेश पर एक परिपत्र जारी किया है।

जिसके मुताबिक, हाईकोर्ट की मुख्य बेंच जबलपुर के अलावा इंदौर और ग्वालियर बेंच में किसी का भी प्रवेश पर बैन लगा दिया गया है। कोई भी प्रशासनिक या न्यायिक कार्य ई-मेल के जरिए जबलपुर के रजिस्ट्रार जनरल या रजिस्ट्रार ज्यूडीशियल द्वारा दोनों बेंचों के प्रिंसिपल रजिस्ट्रारों को भेजे जाएंगे।

निचली अदालतों में आगामी आदेश तक प्रवेश पूरी तरह से बैन
निचली अदालतों में भी आगामी आदेश तक प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। अर्जेन्ट मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या जिला अदालतों में संबंधित जिला सत्र न्यायाधीशों या फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज की अनुमति के बिना नहीं हो सकेगी। अर्जेन्ट मामलों की अनुमति मिलने पर संबंधित वकील या उनके पक्षकार को बताया जाएगा कि उन्हें किस जगह पर जाकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष रखना है।

न्यायिक अधिकारियों व कर्मचारियों को फोन एक्टिव रखना होगा
पूर्व आदेश के अनुसार हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में अर्जेंट मामलों की सुनवाई नहीं किए जाने के संबंध में पारित आदेश को निलंबित कर दिया गया है। प्रदेश के सभी न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने मोबाईल फोन को एक्टिव मोड में रखना होगा।

ऐसा इसलिए ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी सेवाएं ली जा सकें। किसी भी अप्रत्याशित परिस्थिति में ऊपर दिए गए निर्दशों के तहत हाईकोर्ट या अन्य निचली अदालतों में कामकाज हो सकेगा, लेकिन उसके पहले चीफ जस्टिस से अनुमति लेना जरूरी होगा। समय-समय पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले दिशा-निर्देशों का सभी संबंधितों को अक्षरशः पालन करना होगा। किसी भी रूप में इन निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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