रविवार को दिन का अधिकतम तापमान 42.1 डिग्री तक जा पहुंचा था। ऐसी गर्मी में पीपीई किट पहनकर डोर टू डोर सर्वे करना बेहद कठिन काम है। लेकिन शहर में ऐसी 50 से ज्यादा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं जो रमजान के महीने में रोजे रखते हुए कोविड-19 के हॉट स्पॉट एरिया में जाकर सर्वे कर रही हैं।
और पूरी तरह अपने फर्ज को इबादत के साथ निभा रही हैं। ये महिला कार्यकर्ता सुबह से शाम तक फील्ड में उतरकर बिना कुछ खाए-पीए सर्वे करती हैं और फिर शाम को घर जाकर रोजा इफ्तारी की तैयारी करती हैं।
खुशनसीब हूं कि इबादत के साथ लोगों की मदद का मौका मिला
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नाजवर सुल्तान कहती हैं- यह महीना इबादत का है। खुशनसीब हूं कि इबादत के साथ लोगों की मदद करने का मौका भी मिला है। अल्ला ताला से दुआ है
कि सब जल्द ठीक हो जाए। लॉकडाउन खुले ताकि सभी काम पर लौट सकें। बचाव के लिए जो पीपीई किट पहनते हैं उसमें भी दिक्कत होती है। लेकिन, अपने क्षेत्र के लोगों के घर जाकर उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने की जो ड्यूटी मिली है, उसे भी पूरे जिम्मेदारी के साथ करते रहेंगे। तेज धूप में परेशानी तो होती है लेकिन ड्यूटी सबसे ऊपर है
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शबाना खान कहती हैं- धूप तेज है। ऊपर से पीपीई किट भी पहननी पड़ती है। परेशानी तो बहुत होती है, लेकिन ड्यूटी सबसे ऊपर है। यही इच्छा है कि जल्द से जल्द सब ठीक हो जाए। रोजा रखकर इबादत भी कर रहे हैं। यह साल में एक बार आते हैं। इसे छोड़ भी नहीं सकते। यह किसी को नहीं पता कि अलगे साल नसीब होंगे या नहीं। शाम 4 बजे लौटते हैं। कुछ समय आराम कर राेजा इफ्तार की तैयारी करते हैं।
साथियों ने ओआरएस का घोल दिया, लेकिन रोजा था
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता यास्मीन जमा कहती हैं- पीपीई किट पहनकर सर्वे करना होता है, लेकिन गर्मी परेशान करती है। तीन घंटे सर्वे के बाद बेचैनी होने लगी। आंखों के आगे अंधेरा छा गया। चेहरा व हाथ-पैर धोए। साथियों ने ओआरएस दिया पर रोजा होने से मैंने इंकार कर दिया। साल में एक बार ही यह मौका आता है। अब बिल्कुल ठीक हूं।