शिमला में मंडी निवासी किडनी रोगी कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत के बाद अंत्येष्टि के दौरान शव से हुए अमानवीय व्यवहार पर राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय जांच बैठा दी है। मंडलायुक्त शिमला राजीव शर्मा को जांच का जिम्मा सौंपते हुए एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है। सरकार ऐसे समय में हरकत में आई है जब हाईकोर्ट ने इस मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार से जवाब तलब किया है।
माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार कोर्ट में जवाब दाखिल करेगी और उसके बाद कोर्ट फैसला ले सकता है। बता दें कि 5 मई को मंडी के सरकाघाट के 21 वर्षीय युवक की आईजीएमसी शिमला में मौत हो गई थी। एक मई को युवक दिल्ली में किडनी का इलाज करवाकर लौटा था। होम क्वारंटीन में बुखार, उल्टियां और सांस लेने में तकलीफ होने पर उसे सरकाघाट अस्पताल लाया गया, जहां एहतियातन सैंपल लेने के बाद उसे नेरचौक रेफर किया गया।
यहां से उसे डायलसिस के लिए आईजीएमसी शिमला भेज दिया। आईजीएमसी में उसकी मौत हो गई। इस बीच उसकी रिपोर्ट भी कोरोना पॉजिटिव आ गई। इसके बाद शव की शिमला के कनलोग में अंत्येष्टि हुई। जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम शिमला ने गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हुए बिना परिवार की मौजूदगी आधी रात को संस्कार कर दिया।
अमर उजाला ने मामले को प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा। याचिका में केरोसिन-डीजल से शव को जलाने का भी आरोप है। कोर्ट ने सरकार से मामले में जवाब तलब किया है। अब मुश्किल में फंसी सरकार ने आखिरकार मामले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। जांच शुरू होने के साथ ही डीसी शिमला, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट आईजीएमसी, एसडीएम और नगर आयुक्त शिमला की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
जांच में देखा जाएगा कि अंत्येष्टि को लेकर क्या प्रोटोकॉल है। इसमें आपदा प्रबंधन एक्ट व पैनडेमिक एक्ट में निहित प्रोटोकॉल और जिला प्रशासन व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा उठाए कदमों का आकलन होगा। बताया जा रहा है कि एक्ट में स्पष्ट है कि रीति-रिवाज से ही दाह संस्कार किया जाना चाहिए। इसके बाद हमीरपुर के कोरोना पॉजिटिव की मंडी में हुई मौत के बाद सभी प्रोटोकॉल और रीति-रिवाज अपनाए गए।