गठबंधन सहयोगियों के बीच दरार की खबरों के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बुधवार को सत्ताधारी पार्टियों से मुलाकात करेगी. उन्होंने आज बैठक बुलाई है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच बातचीत के बाद अटकलें तेज हो गई हैं. हा
शिवसेना और एनसीपी पार्टी ने अलग होने की बात नकार दिया है, लेकिन कांग्रेस के नेता राहुल गांधी एक बयान के बाद महाराष्ट्र में बनी गठबंधन सरकार की दो पार्टियों शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सामने असहज स्थिति पैदा कर दी.
राहुल ने मीडिया की ओर से पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ”मैं यहां की स्थिति को कुछ अलग रखना चाहूंगा. महाराष्ट्र में हम सरकार का समर्थन कर रहे हैं लेकिन हम महाराष्ट्र में प्रमुख डिसीजन मेकर नहीं हैं. हम पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान और पुडुचेरी में नीति निर्माता हैं सरकार को चलाने और इसका समर्थन करने में फर्क होता है.”
राहुल ने इसके साथ ही कहा, ‘मैंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है कि महाराष्ट्र एक महत्वपूर्ण राज्य है. मुंबई वित्तीय राजधानी है और इस पर लोगों का ध्यान केंद्रित है. यहां कठिन स्थिति है और केंद्र की ओर से राज्य पर बहुत ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है.’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के इस बयान के बाद गठबंधन को लेकर सवाल उठने थे और वे उठे. इस मुद्दे पर NCP नेता मजीद मेनन ने कहा, ‘यह कहना सही नहीं है कि कांग्रेस निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है. कांग्रेस सदस्य मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं, वे बाहर से समर्थन नहीं दे रहे हैं. वे कैबिनेट में हैं और महाराष्ट्र सरकार द्वारा किए गए निर्णय पर हस्ताक्षर करने वालों में कांग्रेस पार्टी भी शामिल है.’
पवार ने NDTV से कहा था, “महाराष्ट्र सरकार के लिए कोई खतरा नहीं है. सभी विधायक हमारे साथ हैं. इस समय इसे तोड़ने की किसी भी कोशिश के घातक परिणाम होंगे.”हालांकि मुख्यमंत्री के साथ पवार की बैठक में कांग्रेस अनुपस्थित थी लेकिन एनसीपी प्रमुख ने कहा कि महाराष्ट्र में तीनों गठबंधन सहयोगी साथ हैं और कोविड-19 के खतरे से लड़ने को लेकर एकजुट हैं
एनसीपी नेता ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के साथ अपनी बैठक को भी “शिष्टाचार भेंट” बताया. गौरतलब है कि पवार, राज्यपाल और पूर्व बीजेपी नेता कोश्यारी आलोचक रहे हैं और राज्य के मामलों में उनके “हस्तक्षेप” को लेकर आपत्ति जताते रहे हैं.