लॉक डाउन में जहां एक ओर लोग घरों में रहे वहीं वन माफिया ने कलियासोत के जंगल को बड़े तरीके से काट दिया है। इस बात का खुलासा हुआ जब कलियासोत के छोटे बड़े झाड़ के जंगल का कलियासोत रेवेंन्यू इंस्पेक्टर (आर आई)ने दौरा किया। तकरीबन डेढ़ हजार से अधिक के पेड़ कटने की जानकारी जब वन विभाग और सीपीए को लगी ताे हड़कंप मच गया। अब वन विभाग और सीपीए के कर्मचारी अब मिलकर एक एक ठूंठ की गिनती करेंगे।
दरअसल बाघ मूवमेंट इलाका होने की वजह से इस जंगल की मेपिंग करने के लिए एनजीटी ने निर्देश दिए थे। इस बात की भनक यहां के प्राइवेट भूमि खरीदने वालों को है। यह जगह जंगल की परिभाषा में न आए इसलिए यहां पर पेड़ काटे जा रहे हैं। वन विभाग हमेशा कलियासोत के जंगल को राजस्व भूमि का कहकर अपना पल्ला झाड़ लेता था। वहीं राजस्व विभाग सीपीए का जंगल कहकर जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लेते थे। बड़ी संख्या में पेड़ कटने से अब तीन विभाग संयुक्त रुप से जंगल की जिम्मेदारी लेते हुए एक एक ठूंठ की गिनती करेंगे।
मेपिंग शुरू नहीं हो पाई
कलियासोत के जंगल की मेपिंग करने की जिम्मेदारी वन विभाग को दी गई थी। इसके लिए वन विभाग ने एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। इसकी मेपिंग 25 मार्च से शुरू होना थी लेकिन लॉक डाउन के चलते इसकी मेपिंग शुरू नहीं हो पाई थी। इस दौरान जब पेड़ कटे तो उन्होंने इसकी शिकायत एनजीटी और जिला प्रशासन पर्यावरण एक्टिविस्ट ने की। इस पर जिला प्रशासन ने कलियासोत आर आई को निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। जिसके बाद जब उन्होंने मौका मुआयना किया तो पाया कि बड़ी संख्या में पेड़ कटे है।
ठूंठों की गिनती नए सिरे से
इसकी सूचना उन्होंने प्रशासन को दी। इससे वन विभाग और सीपीए में हड़कंप मच गया। इसके बाद निर्णय लिया गया कि राजस्व, सीपीए और वन विभाग मिलकर अब जंगल पूरे इलाके में कटे ठूंठों की गिनती नए सिरे से करेंगे। आरआई की टीम मिडोंरो के ओर वन विभाग की जमीन के अंदर नहीं जा पाई इसकी वजह बाघों के मूवमेंट था। दरअसल एनजीटी के पूर्व अध्यक्ष दलीप सिंह ने पूरे इलाके का खुद दौरा किया था
उसके बाद से इस इलाके में लगातार एनजीटी यहां के जंगल को लेकर वन विभाग से मेपिंग करने के निर्देश देते रहे हैं। एनजीटी वर्ष 2014 से इस जंगल की जियो मेपिंग करने के निर्देश दे रही है। यह तीसरा मौका है जब यहां के जंगल को जलाया और काटा गया।