पुलवामा आतंकी हमले की जांच को लेकर विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को पाकिस्तान पर निशाना साधा और कहा कि हमने घटना से जुड़े पर्याप्त सबूत साझा किए हैं, लेकिन वह जवाब देने से लगातार बच रहा है। इसके साथ ही मंत्रालय ने इस बात पर अफसोस जताया कि पुलवामा मामले में आरोपी जैश-ए-मोहम्मद आतंकी समूह का सरगना मसूद अजहर पाकिस्तान में पनाह लिए हुए है और उसके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में गत वर्ष आतंकवादी हमले की साजिश रचने और उसे अंजाम देने के लिए प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर समेत 19 लोगों के खिलाफ बीते 25 अगस्त को आरोप पत्र दायर किया था। पिछले वर्ष पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हुए इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।
13,500 पृष्ठों के आरोपपत्र में मसूद अजहर, उसके भाइयों अब्दुल रऊफ और अम्मार अल्वी तथा उसके रिश्तेदार मोहम्मद उमर फारूक का नाम भी शामिल है जिसने अप्रैल 2018 में भारत में घुसपैठ की थी और दक्षिण कश्मीर में एक मुठभेड़ में मारा गया था। अज़हर के भाइयों के अलावा, एनआईए के आरोपपत्र में समीर डार और अशाक अहमद नेंग्रू, दोनों दक्षिण कश्मीर के पुलवामा निवासियों और एक पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद इस्माइल का नाम फरार के तौर पर दिया गया है और यहां की अदालत से सभी छह के खिलाफ गैर-जमानती वारंट प्राप्त किया गया है।
एनआईए की प्रवक्ता एवं एजेंसी की उप महानिरीक्षक सोनिया नारंग ने आरोपपत्र का विवरण देते हुए कहा कि आरोपपत्र डेढ़ साल की कठोर मेहनत और सावधानीपूर्वक जांच की परिणति है, जो अन्य केंद्रीय और राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ-साथ विदेशी कानून-प्रवर्तन एजेंसियों से प्राप्त मूल्यवान सुराग पर हुई है।
उन्होंने कहा, ”बहुत सारे डिजिटल, फोरेंसिक, दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य एकत्र किए गए हैं जो इस नृशंस और बर्बर हमले के लिए आरोपियों के खिलाफ एक मजबूत मामला बनाते हैं। आरोपपत्र में भारत में आतंकवादी हमले करने और कश्मीरी युवाओं को उकसाने और भड़काने में पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों की संलिप्तता को रिकार्ड में लाया गया है।” नारंग ने कहा, ”फरार आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया गया है और मामले में आगे की जांच जारी है।”
पुलवामा हमले की जांच एनआईए के संयुक्त निदेशक अनिल शुक्ला के नेतृत्व में एक टीम ने की। इस टीम ने अर्द्धसैनिक बल के काफिले पर किए गए इस हमले के षड्यंत्र को उजागर करने के लिए विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों और उनके मददगारों के बयान लिए और सबूत जुटाए। हालांकि इसमें दिक्कत भी हुई क्योंकि इस मामले में एनआईए द्वारा वांछित सात आरोपी 2019 में विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए थे।
आरोपपत्र के अनुसार यह आत्मघाती हमला पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के नेतृत्व द्वारा रची गई एक सुनियोजित आपराधिक साजिश का परिणाम था। मसूद अजहर के रिश्तेदार मोहम्मद उमर फारूक को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए एनआईए ने कहा कि फारूक 2016-17 में विस्फोटक प्रशिक्षण के लिए अफगानिस्तान गया और उसने अप्रैल, 2018 में जम्मू-सांबा सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से भारत में घुसपैठ की। वह पुलवामा में जेईएम कमांडर बना। इसके अनुसार फारूक ने अपने पाकिस्तानी साथियों मोहम्मद कामरान, मोहम्मद इस्माइल उर्फ सैफुल्लाह और कारी यासिर तथा स्थानीय सहयोगियों समीर डार और आदिल अहमद डार के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा और आईईडी का उपयोग करते हुए सुरक्षा बलों पर हमले की तैयारी की।
एजेंसी के अनुसार अन्य आरोपियों – शाकिर बशीर, इंशा जान, पीर तारिक अहमद शाह और बिलाल अहमद कुचे – ने सभी तरह का साजो-सामान मुहैया कराया और जेईएम के आतंकवादियों को अपने घरों में शरण दी। आरोपपत्र में अनुसार दिसंबर, 2018 से बशीर ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरक्षा बलों की आवाजाही और तैनाती की टोह लेनी शुरू कर दी थी, जबकि एक अन्य आरोपी मुदस्सिर अहमद खान ने जिलेटिन की छड़ों का इंतजाम किया और बशीर को सौंपा। एजेंसी के अनुसार आरडीएक्स उन पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा लाया गया था जिन्होंने भारत में घुसपैठ की थी। बशीर ने एल्युमिनियम पाउडर और कैल्शियम-अमोनियम नाइट्रेट जैसी विस्फोटक सामग्री एकत्रित की और आईईडी बनाने के लिए अपने घर पर जमा किया। एजेंसी के अनुसार आईईडी हमले को अंजाम देने के मकसद से पिछले साल जनवरी में सज्जाद अहमद भट ने एक मारुति ईको कार खरीदी जिसे बशीर के घर के आगे रख गया।
एनआईए के अनुसार इस मामले से आतंकवादी मॉड्यूल में षड्यंत्रकर्ताओं द्वारा अत्याधुनिक बैटरी, फोन और कुछ रसायनों की खरीद के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों का उपयोग करने की बात भी प्रकाश में आयी है। आरोपपत्र में कहा गया है कि श्रीनगर से गिरफ्तार वैज-उल-इस्लाम ने आरोपी मोहम्मद इस्माइल के निर्देश पर अपने अमेज़न अकाउंट से चार किलोग्राम एल्युमिनियम पाउडर का ऑर्डर दिया और बाद में उस मुहैया कराया। एजेंसी के अनुसार आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर हमला गत वर्ष फरवरी के पहले सप्ताह में करने की योजना बनाई थी, लेकिन उन्हें बर्फबारी के चलते राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होने से उसे छोड़ना पड़ा।
एजेंसी के अनुसार वाहन में दो आईईडी कंटेनर – 160 किलोग्राम और 40 किलोग्राम के लगाए गए थे जिसमें आरडीएक्स, कैल्शियम-अमोनियम नाइट्रेट, जिलेटिन स्टिक्स और एल्युमीनियम पाउडर वाली विस्फोटक सामग्री थी। यातायात फिर से शुरू होने पर, शाकिर बशीर ने डार को राष्ट्रीय राजमार्ग तक छोड़ा, जिसके बाद आत्मघाती हमलावर ने वाहन चलाना शुरू किया जिसमें 200 किलोग्राम उच्च श्रेणी का विस्फोटक था। उस कार को सीआरपीएफ की एक बस से टकरा दिया गया, ”जिसके परिणामस्वरूप 40 जवान शहीद हो गए और 32,90,719 रुपए की सार्वजनिक संपत्ति की क्षति हुई।”
जांच से पता चला है कि मसूद अजहर, रूउफ असगर और अम्मार अल्वी वाला पाकिस्तान स्थित जेईएम नेतृत्व लगातार पाकिस्तानी जेईएम के उन आतंकवादियों को दिशा-निर्देश दे रहा था, जिन्होंने हमले से पहले भारत में घुसपैठ की थी। जांच एजेंसी ने कहा कि उन्होंने एक अन्य आत्मघाती हमले को भी अंजाम देने का षड्यंत्र रचा था लेकिन वे बालाकोट हमले के कारण और मुख्य साजिशकर्ता मोहम्मद उमर फारूक के मारे जाने के कारण उसे अंजाम नहीं दे पाए। जांच में यह भी सामने आया कि ”जम्मू में सांबा-कठुआ सेक्टर के सामने शकरगढ़ (पाकिस्तान) में स्थित लॉन्चिंग पैड से आतंकवादियों को भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कराने के लिए पाकिस्तानी का एक अच्छी तरह से तैयार किया गया तंत्र काम कर रहा था।”