रविवार को मां चितपूर्णी के दरबार में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। हालांकि सुबह ठंड के चलते यहां भीड़ काफी कम थी, लेकिन बाद में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई। दोपहर तक लाइनें पुराना बस अड्डा तक पहुंच गई थी। प्रशासन की तरफ से व्यवस्था बनाने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल का भी प्रबंध किया गया था। इस दौरान प्रशासन की टीम ने व्यवस्था को बेहतर तो बनाए रखा, लेकिन श्रद्धालुओं के बीच शारीरिक दूरी के नियमों की फिर से धज्जियां उड़ती दिखाई दी। दर्शन पर्ची काउंटरों पर भीड़ न के बराबर रही, जिससे मंदिर के पास लंबी लाइनें लगी हुई थीं।
स्थानीय पुलिस द्वारा भी चिंतपूर्णी बाजार का निरीक्षण किया गया और यहां लगभग सभी दुकानें बंद ही मिलीं। दुकानें बंद होने के कारण श्रद्धालुओं को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। श्रद्धालुओं को जूते-चप्पल बंद दुकानों के आगे ही उतारने पड़े। मेन बाजार में शौचालयों की कमी के कारण श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हुई। वहीं, कार्यकारी मंदिर अधिकारी अभिषेक भास्कर ने बताया कि न्यास ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेहतर प्रबंध किए हुए थे।
चिंतपूर्णी बाजार में श्रद्धालुओं की अधिकता के बावजूद स्थानीय दुकानदारों को दुकानें सरकार के आदेशों के चलते बंद रखनी पड़ी, जिससे काफी रोष देखने को मिला। निराश दुकानदार दुकानों के आसपास धूप सेंकने को मजबूर रहे। स्थानीय दुकानदारों गणेश, लक्की, विपन, संजीव व अजय का कहना था कि अगर सरकार रविवार की जगह हफ्ते में किसी ओर दिन उनकी दुकानें बंद करने के लिए मान जाए तो रोजी-रोटी भी चलती रहेगी।
भिखारी एक बार फिर से मुख्य बाजार सहित अन्य जगहों पर श्रद्धालुओं को तंग करते नजर आए। हालांकि पुलिस व सुरक्षाकर्मियों द्वारा इन्हें खदेड़ा जाता रहा, लेकिन इनके जाते ही ये दोबारा सक्रिय होते रहे।