भोपाल समेत देश भर में शनिवार से कोविड-19 वैक्सीनेशन लगना शुरू हो गया। उत्साह और उम्मीदों के इस उत्सव में वीआईपी कल्चर भी नजर आया। जेपी अस्पताल में टीका लगवाने के बाद दो तरह के ऑब्जर्वेशन रूम बनाए गए। एक रूम में आरामदायक सोफा और पलंग लगाया गया था, जबकि दूसरे रूम में सिर्फ कुर्सियां ही रखीं गई थीं। आरामदायक रूम में वैक्सीनेशन लगवाने वाले डॉक्टरों को ऑब्जर्वेशन की सुविधा दी गई थी, जबकि कुर्सी वाले रूप में अन्य फ्रंट लाइन वर्कर्स को बैठाया गया। हालांकि दोपहर तक वैक्सीन लगवाने वाले किसी को भी किसी तरह के साइड इफेक्ट नजर नहीं आया।
भोपाल के जेपी अस्पताल में सबसे पहला टीका लगाया जाना था, लेकिन मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के कार्यक्रम में बदलाव के चलते इसमें देरी हुई। इसके कारण 10.30 बजे की जगह पहला टीका दोपहर 11:45 बजे लगाया जा सका। दोपहर 2 बजे तक करीब 30 लोग टीका लगवा चुके थे। किसी को किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट या परेशानी नजर नहीं आई।
एक अनोखा सेंटर- जिसमें जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं पर रही
भोपाल के 12 सेंटर पर शनिवार से वैक्सीनेशन लगना शुरू हो गया। इनमें से सुल्तानिया अस्पताल ऐसा सेंटर था, जहां पर पूरी जिम्मेदारी महिलाओं पर रही। रजिस्ट्रेशन से लेकर वैक्सीनेशन, ऑब्जर्वेशन और मॉनिटरिंग सभी कार्य महिला कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों ने ही किए। दोपहर करीब 2 बजे तक चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने अस्पताल का निरीक्षण किया। तक तक सिर्फ 12 फ्रंट लाइन वर्कर्स ने ही वैक्सीन लगवाया था।
कई लोगों को एसएमएस नहीं मिला
रजिस्ट्रेशन के बाद सीधे वैक्सीन लगवाने के लिए लाभार्थी को भेजा गया। वैक्सीन लगाने के बाद उसे ऑब्जर्वेशन रूम में भेज दिया गया। यहां पर उनका नाम पता लिखा गया। हालांकि भोपाल में वैक्सीन लगवाने की रफ्तार काफी धीमी रही। कई लोगों को एसएमएस ही नहीं पहुंचा। यही कारण है कि कम संख्या में वैक्सीन लगवाने के लिए लोग पहुंचे।
सभी पहुंच जाते तो बैठने तक की जगह नहीं बचती
जेपी अस्पताल की बात की जाए, तो यहां पर तीन ऑब्जर्वेशन रूम बनाए गए थे। इनमें से एक वीआईपी और दो आम थे। दो रूम भी काफी छोटे थे। अगर सभी 100 वर्कर्स टीका लगवाने पहुंच जाते, तो यह जगह बहुत कम हो जाती। कई बार तो स्थिति खड़े रहने तक की रही।