स्वर्णिम विजय मशाल 16 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलाई गई। भारत–पाक युद्ध में भारत की जीत को याद दिलाती हुई चार स्वर्णिम विजय मशाल को देश की चारों दिशाओं में भेजा गया था। भारत-पाक युद्ध 1971 की विजय के 50 वर्ष पर जीत की याद दिलाती ऐसी मशाल भोपाल सेना स्टेशन में 4 जनवरी को प्राप्त हुई थी। स्वर्णिम विजय मशाल भोपाल में 13 दिन रही।विजय मशाल भोपाल में पुलिस मुख्यालय, सी आर पी अफ मुख्यालय, बीएसएफ और एनसीसी मुख्यालय जाया गया। आज 16 दिसंबर को मशाल को सुदर्शन कोर से इस मशाल को विदा किया गया। इसे जनरल ऑफिसर कमांडिंग सुदर्शन चक्र कोर लेफ्टिनेंट जनरल अतुल्य सोलंकी ने विदा किया।
यह अब मध्यप्रदेश के दूसरे हिस्सों में जाएगी। भारतीय सेना के इतिहास में यह अब तक का सबसे तेज, सबसे छोटे एवं सफल अभियानों में से एक रहा है। जिसमे भारतीय सेना ने अपने पराक्रम का अद्भुत परिचय देते हुए पाक सेना के 93,000 सैनिकों ने एक साथ आत्मसमर्पण करने पर मजबूर कर दिया. पाक की इस करारी हार के साथ सन 1971 में बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र का जन्म हुआ।