मध्यप्रदेश सरकार ने खाली खजाना भरने के लिए अब मध्यमवर्गीय परिवारों पर भार डालने का फैसला किया है। उसने इसके लिए इनकम टैक्स को आधार बनाया है। अब 100 यूनिट बिजली खर्च करने पर 100 रुपए बिल की योजना से इनकम टैक्स देने वाले 6 लाख उपभोक्ताओं को बाहर किया जाएगा। यह निर्णय कैबिनेट बैठक में ऊर्जा विभाग के प्रेजेंटेशन के बाद लिया गया। गौरतलब है कमलनाथ सरकार यह योजना लेकर आई थी तब खपत के आधार पर उपभोक्ता को लाभ मिल रहा था। चुनाव के बाद यह सरकार का बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका माना जा रहा है।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि 6 लाख बिजली उपभोक्ताओं में अधिकतर प्रथम श्रेणी के अधिकारी हैं। बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिए कि बड़े बकायादारों से बिजली बिल की वसूली का अभियान चलाया जाए। बैठक में यह भी तय किया गया कि ऊर्जा विभाग के जूनियर इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियरों की पोस्टिंग परफार्मेंस के आधार पर की जाएगी। गृह मंत्री ने बताया कि 20 जनवरी को पूरे प्रदेश में रोजगार मेले आयोजित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि सभी मंत्री अपने-अपने जिलों में आयोजित मेले में शामिल हों। इन मेलों के माध्यम से सरकार ने 1 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अब कैबिनेट की बैठक में कोई एक मंत्री अपने विभाग का प्रेजेंटेशन करेगा। इसके पीछे मंशा यह है कि सभी मंत्रियों को अन्य विभागों की गतिविधियों की पूरी जानकारी हो सके।
क्या है स्कीम
बिजली की खपत 100 यूनिट तक होने पर उपभोक्ताओं को केवल 100 रुपए बिल चुकाना होता है। स्कीम के मुताबिक अगर किसी महीने में आपकी बिजली की खपत 150 यूनिट हुई तो 384 रुपए का बिल देना होता है। लेकिन 151 यूनिट बिजली खर्च की है तो इस स्कीम का कोई बैनिफिट नहीं मिलेगा।
इसलिए बड़े बकायादारों से वसूली अभियान
प्रदेश सरकार ने कोविड-19 के कारण 31 अगस्त 2020 तक की बिल बकाया राशि स्थगित करने के निर्देश दिए थे। 1 सितंबर 2020 से चालू माह की खपत के आधार पर बिजली बिल जारी हुए। सरकार के इस फैसले से जहां 70 लाख से ज्यादा बिजली उपभोक्ताओं को लाभ हुआ। वहीं बिजली कंपनियों के राजस्व में बेतहाशा कटौती हो गई। लेकिन इस दौरान ऐसे उपभोक्ताओं को भी लाभ मिल गया, जिन्होंने साल-सालभर के बिजली के बिल जमा नहीं किए थे। अब ऐसे बड़े बकायादारों से बिलों की वसूली की जाएगी।