दिल्ली उच्च न्यायालय के डिवीजन बेंच ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें रिलायंस रिटेल के साथ 24,713 करोड़ रुपये के सौदे पर एफआरएल से यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा गया था। बेंच ने कहा कि सांविधिक प्राधकारणों को फ्यूचर-रिलायंस सौदे पर कानून के अनुसार कार्रवाई को आगे बढ़ाने से नहीं रोका जाना चाहिए। दिल्ली उच्च न्यायालय ने रियालंयस के साथ 24,713 करोड़ रुपये के सौदे की यथा स्थिति बनाए रखने के एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ एफआरएल की अपील पर अमेज़न का रुख जानना चाहा। बता दें पिछले दिनों दिल्ली उच्च न्यायालय ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड को रिलायंस रिटेल के साथ 24,713 करोड़ रुपये के सौदे के संबंध में यथास्थिति बनाये रखने को कहा था, जिसपर अमेजन ने इस पर आपत्ति जताई है।
सिंगापुर के अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) ने 25 अक्टूबर को पारित अंतरिम आदेश में एफआरएल के अपनी संपत्तियों की बिक्री पर रोक लगा दी थी। इसके बाद अमेजन ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), शेयर बाजारों तथा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को पत्र लिखकर सिंगापुर पंचाट के अंतरिम आदेश पर विचार को कहा था। अमेजन का कहना था कि यह बाध्यकारी आदेश है। एफआरएल ने उच्च न्यायालय से अपील की है कि वह अमेरिकी की ई-कॉमर्स कंपनी को एसआईएसी के आदेश को लेकर सेबी, सीसीआई और अन्य नियामकों को पत्र लिखने से रोके। उसने कहा कि यह उसके रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ करार में हस्तक्षेप होगा।
एफआरएस के वकील हरीश साल्वे ने अदालत को बताया कि उनका मुवक्किल एआईएसी के नियमों के तहत आपातकालीन पंचाट (ईए) के फैसले को चुनौती नहीं दे रहा है क्योंकि भारतीय कानूनों के तहत इसको मान्यता नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय मध्यस्थता कानून में ईए (आपातकालिक मध्यस्थता) की अवधारणा नहीं है और वह सिर्फ यह चाहते हैं कि अमेजन को रिलायंस रिटेल और रिलायंस रिटेल एंड फैशन लिमिटेड के साथ 24,713 करोड़ रुपये के सौदे में हस्तक्षेप से रोका जाए।
Division Bench of Delhi High Court stays the order that had put brakes on Future Retail-Reliance deal. The interim order by division bench notes single judge passed orders prima facie without having all proper parties before it.
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) February 8, 2021