प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने पड़ चुके कानूनों को निरस्त करने और कारोबार के लिए व्यवस्था अधिक सुगम बनाए जाने की जरूरत पर बल देते हुए शनिवार (20 फरवरी) को कहा कि मजबूत आर्थिक वृद्धि प्राप्त करने के लिए केंद्र और राज्यों का एकजुटता के साथ काम करना जरूरी है. पीएम मोदी ने नीति आयोग (NITI Aayog) की संचालन परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र को भी सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान में भाग लेने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र और राज्यों को देश की प्रगति के लिए मिल कर काम करना होगा… आर्थिक प्रगति के लिए सरकार को निजी क्षेत्र का सम्मान करना होगा और उसे समुचित प्रतिनिधित्व भी देना होगा.” उन्होंने कहा कि इस बार के बजट का जिस तरह से स्वागत हुआ है वह इस बात का संकेत है कि देश विकास की राह पर अधिक तेजी से आगे बढ़ना चाहता है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की पहलों से हर किसी को राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान करने का अवसर मिलेगा.
प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि तिलहन जैसे उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि खाद्य तेल आदि के आयात पर निर्भरता कम हो. उन्होंने कहा, “किसानों को दिशा दे कर ही इसे हासिल किया जा सकता है.”
उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं के आयात पर खर्च होने वाला धन किसानों के खाते में तो जा ही सकता है. मोदी ने लोगों पर नियम कायदों के अनुपालन का बोझ कम करने की आवश्यकता भी जतायी. प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में राज्यों से समितियां बना कर ऐसे नियम—कायदों को छांटने को कहा जिनकी नयी प्रौद्योगिकी के इस दौर में कोई उपादेयता नहीं रह गयी है.