आतंकियों के निशाने पर उदयपुर का कन्हैयालाल ही नहीं बल्कि वे सभी लोग थे, जिन्होंने नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट किया था। पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी और आतंकवदियों ने इसके लिए राजस्थान के 40 लोगों को तैयार कर लिया था। ये नूपुर का समर्थन करने वालों का सिर कलम करने के लिए तैयार हो गए थे। यह खुलासा एनआईए और एटीएस की शुरुआती जांच में सामने आया है।
25 मई के बाद नूपुर के बयान का समर्थन करने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिए दावत-ए-इस्लामी से जुड़े 6 जिलों के लोगों को टारगेट दिया था। जांच में सामने आया कि ये सभी एक साल से इस संगठन से जुड़े थे।
यह नया खुलासा आतंकी रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद की कॉल डिटेल में मिले पाकिस्तान के 10 लोगों के 20 मोबाइल नंबर की जांच से हुआ। आतंकी संगठन ने इन लोगों को वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया एप के जरिए सिर कलम करने के लिए ऑडियो और वीडियो कॉल करके तैयार किया। आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए तैयार किए गए लोगों को टारगेट दिया गया कि तालिबान के तर्ज पर सिर कलम कर वीडियो वायरल करें।
एनआईए की टीम मंगलवार को फिर उदयपुर पहुंची। टीम ने अंजुमन तालिमुल इस्लाम के सदर मुजीब सिद्दिकी, मौलाना जुलकरनैन, सह-सचिव उमर फारुक, पूर्व सदर खलील अहमद के अलावा दो वकीलों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। एनआईए ने इससे पहले इनके मोबाइल, लैपटॉप सहित अन्य उपकरण जब्त किए थे। सदर मुजीब के घर तलाशी लेने की बात भी सामने आई है। सूत्रों के अनुसार एनआईए ने पूछताछ पूरी होने के बाद देर शाम सभी को छोड़ दिया।
एनआईए और एटीएस की जांच में सामने आया कि दावत-ए-इस्लामी ने अजमेर में आपत्तिजनक धार्मिक किताबें बेचने के लिए दुकान खोली थी। एक बुक सेलर को रोज 350 रुपए देते थे। रियाज और गौस यहां से किताबें लोगों में बांटते थे। एजेंसियां इसकी भी जांच कर रहे हैं।
एनआईए मामलों की विशेष कोर्ट ने उदयपुर आतंकी हमले में मुख्य आरोपी गौस मोहम्मद और रियाज अत्तारी सहित 7वें आरोपी फरहाद मोहम्मद शेख उर्फ बबला को 16 जुलाई तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया। सूत्रों के अनुसार, एनआईए ने फरहाद को रियाज अत्तारी का करीबी व उसकी हत्या की साजिश में शामिल माना है।