मणिपुर का मैतेई समुदाय खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग कर रहा है और यही मांग आगे चलकर पूरे विवाद की तात्कालिक वजह बनी.
तीन मई से लेकर छह मई तक प्रदेश में जम कर हिंसा हुई, जिसमें मैतेई लोगों ने कुकी पर और कुकी लोगों ने मैतेई के ठिकानों को निशाना बनाया.
राजधानी इम्फ़ाल से दो घंटे की दूरी पर स्थित कुकी बहुल चुराचांदपुर ज़िले में जब दोनों गुटों के बीच झड़पें जारी थीं तब 23 साल के एलेक्स जमकोथांग भी तमाशबीन भीड़ का हिस्सा थे.
एकाएक ऊपर की किसी इमारत से आई एक गोली उनके सीने को चीरते हुए निकल गई. उन्हें फ़ौरन अस्पताल पहुँचाया गया लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुके थे.
एलेक्स जमकोथांग की माँ तब से सो तक नहीं सकी हैं और अक्सर सिसकती रहती हैं.
एलेक्स के पिता फ़ौज में थे और भाई आईटीबीपी में है. लेकिन उन्होंने कहा कि मारे गए छोटे भाई का अंतिम संस्कार अपनी मांग पूरी होने पर ही करेंगे.
जमकोथांग ने बताया, “हमारी ज़िंदगी यहाँ ख़तरे में है. कब क्या होगा, कौन मरेगा. सेंट्रल गवर्नमेंट अगर ट्राइबल लोगों के लिए सुविधा नहीं देगी तो हम भी नहीं मानेंगे और मैतेई लोग भी नहीं मानेंगे क्योंकि ये अब शुरू हो गया है. ये गृह युद्ध भी है और सरकार के साथ भी है. मांगें नहीं पूरी होंगी तो शवगृह से शव भी नहीं निकलेंगे.”