वो अमेरिका के सरकारी दौरे पर पहले भी चार बार जा चुके हैं लेकिन इस बार की यात्रा पहली स्टेट विज़िट है जिसके दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन उनकी मेज़बानी करेंगे.
पीएम मोदी अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे. उन्होंने 2016 में भी कांग्रेस को संबोधित किया था और अमेरिकी संसद को दो बार संबोधित करने वाले वो भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे.
स्टेट विजिट में आम तौर पर कई औपचारिक समारोह होते हैं. अमेरिका में इन समारोहों में टारमैक पर ख़ास मेहमान का अभिवादन, 21 तोपों की सलामी, व्हाइट हाउस आगमन समारोह, व्हाइट हाउस डिनर, राजनयिक उपहारों का आदान-प्रदान और अमेरिकी राष्ट्रपति के गेस्टहाउस ब्लेयर हाउस में रहने का निमंत्रण शामिल है.
कुछ समय पहले अमेरिकी कांग्रेस की एक समिति ने कहा था कि अमेरिका को चाहिए कि वो भारत को “नेटो प्लस” में शामिल कराकर भारत को पश्चिम के रक्षा गठबंधन ‘नेटो’ का भागीदार बनने के लिए कहना चाहिए.
ये बात और है कि भारत ने अब तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है और इसकी संभावना कम ही है कि भारत “नेटो प्लस” या किसी और गठबंधन का सदस्य बनना चाहेगा क्योंकि विदेश मंत्री जयशंकर ने अक्सर कहा है कि उनका देश किसी क्लब का सदस्य बनने के बजाय पार्टनरशिप में यक़ीन रखता है.
अमेरिका का स्टेट विज़िट दुनिया के किसी भी नेता के लिए ये एक बड़ा सम्मान है लेकिन सवाल ये है कि मोदी के दौरे से अमेरिका को क्या हासिल होगा?
एक और अहम सवाल कि प्रधानमंत्री अमेरिका की अपनी राजकीय यात्रा से क्या हासिल करेंगे?
लंदन में भारतीय मूल के वरिष्ठ पत्रकार प्रसून सोनवलकर के मुताबिक़, इस सम्मान के पीछे अमेरिका का अपना राष्ट्रीय हित छिपा है.
वो कहते हैं, “अमेरिका-भारत संबंधों के इतिहास से पता चलता है कि अमेरिका ने हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर काम किया है, भले ही कभी-कभी इस पर दिल्ली में हंगामा हुआ हो. इस बार भी, भले ही वॉशिंगटन और नई दिल्ली की सरकारों की राजनीतिक विचारधारा एक समान नहीं है, चीन के मुक़ाबले भारत का लाभ उठाना अमेरिका के हित में है.”
अजय जैन गुरुग्राम के मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट में थॉट एंड लीडरशिप के प्रोफ़ेसर और डीन हैं.
उन्होंने नरेंद्र मोदी के करियर को क़रीब से देखा है. वो कहते हैं कि भारत अमेरिका के लिए सांस्कृतिक, आर्थिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है.
उनके मुताबिक़, “भारत एक प्राचीन संस्कृति है, जिसके विश्वास और मूल्य बहुत ही व्यापक हैं. हमारा मूलमंत्र वसुधैव कुटुम्बकम् है तो भारत के बारे में अमेरिका को ये स्पष्टता है कि भारत स्वार्थी देश नहीं है.”
वो आगे कहते हैं कि अमेरिका एक ऐसा देश है जो अपनी अर्थव्यवस्था के दम पर खड़ा है, “भारत 140 करोड़ लोगों का देश है और अमेरिका की बहुत सारी कंपनियां भारत पर निर्भर हैं. अमेरिका भारत पर आर्थिक दृष्टिकोण से निर्भर करता है, अपने आर्थिक विकास और आर्थिक प्रगति के लिए भी. आज अमेरिका की सबसे बड़ी ज़रूरत आर्थिक प्रगति है, उसे चीन के मुकाबले खड़े रहना है.”
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में सत्ता में आने के बाद से द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने, आर्थिक सहयोग बढ़ाने और वैश्विक मंच पर भारत की हैसियत को बढ़ाने के उद्देश्य से अमेरिका के कई आधिकारिक दौरे किए हैं. इस दौरे में इन क्षेत्रों में और मज़बूती आएगी