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7वें वेतनमान का फायदा मिलता ताे दीवाली के बाजार में 165 करोड़ रुपए आ सकते थे…

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राजधानी समेत प्रदेश में 80 फीसदी यानी करीब 2.75 लाख कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के हिसाब से सैलरी अभी तक नहीं मिल सकी है। वित्त विभाग ने जुलाई में इसके आदेश जारी कर दिए थे। लेकिन धीमी प्रक्रिया और विकल्प भरने में देरी के चलते महज 20 फीसदी कर्मचारियाें को ही 7वें वेतनमान का फायदा मिल सका है। अगर एक अक्टूबर को आई सैलरी में अधिकारियों-कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का फायदा मिल जाता ताे दीवाली के बाजार में 165 करोड़ रुपए आ सकते थे।

 सरकार ने करीब साढ़े तीन महीने पहले कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने का निर्णय लिया था। इसे 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया था। मई 2018, मई 2019 और मई 2020 में तीन किस्तों में एरियर देना तय हुआ था। वित्त विभाग ने जुलाई के अंतिम सप्ताह में आदेश भी जारी कर दिए थे। तय नियमानुसार इसके बाद सभी विभागों में विकल्प भरवाने की प्रक्रिया शुरू की गई। लेकिन ज्यादातर विभागों में प्रक्रिया शुरू करने में ही देर हो गई।
इसके लिए कर्मचारियों से ऑनलाइन और आफ लाइन विकल्प भरवाए गए। जल संसाधन, पीएचई, पीडब्ल्यूडी, स्कूल शिक्षा, कृषि विभाग जैसे बड़े विभागों के भी 80 फीसदी कर्मचारियों को नया वेतनमान नहीं मिल सका। कई विभागों में कर्मचारियों का वेतन निर्धारण भी सही नहीं हो सका।आफ लाइन विकल्प में हर विभाग के स्थापना शाखा के प्रभारियों ने पहले कर्मचारियों की सर्विस बुक में एंट्री की, फिर वेतन निर्धारण कर अकाउंट सेक्शन में भेजा। अकाउंट सेक्शन को कोष एवं लेखा से एप्रूवल लेना पड़ा। इस प्रक्रिया में महीने का वक्त भी लगा। कई विभाग प्रमुखों ने इसमें ज्यादा देर कर दी। इस वजह से कर्मचारियों को नया वेतन अब तक नहीं मिल सका। ऑन लाइन विकल्प भरने वालों को सर्वर डाउन रहने से भी परेशानी हुई।
विभागों ने संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा को पुस्तिका में वेतन निर्धारण का अनुमोदन करना है। इसके लिए कई विभाग इस दफ्तर से समय मांग रहे हैं कि लेकिन स्टाफ कम होने से वे संयुक्त संचालक की टीम विभाग के दफ्तरों में पहुंच नहीं पा रही है।पीडब्ल्यूडी, पीएचई, जल संसाधन, आरईएस, उद्यानिकी जैसे विभागों के फील्ड पर रहने वाले कई कर्मचारी अब तक विकल्प भी नहीं भर पाए हैं।प्रदेश में प्रथम श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी के करीब 4.25 लाख कर्मचारी व अधिकारी हैं। इनमें से 75 फीसदी कर्मचारी तृतीय श्रेणी के हैं। ऐसे एक कर्मचारी के नए वेतन में औसतन 6 हजार रुपए की वृद्धि होनी थी। अक्टूबर में बढ़ा वेतन मिलता तो 2.75 लाख कर्मचारियों को 165 करोड़ रुपए मिलते।निगम-मंडलों में नहीं बाकी सभी विभागों में सातवां वेतनमान दे दिया गया है। कुछ जगह तकनीकी वजह हो सकती है। -जयंत मलैया, वित्तमंत्री, मप्र

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