छठ पूजा भगवान सूर्य की उपासना का सबसे बड़ा पर्व है. छठ पूजा में उगते सूर्य और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. बुधवार को खरना के बाद व्रतियों का 36 घंटे तक निर्जला व्रत शुरू हो गया है. पहला अर्घ्य आज अस्त होते सूरज को दिया जाएगा. गुरुवार को षष्ठी के दिन व्रतीजल में उतरकर डूबते सूरज को अर्घ्य देंगे. इसके लिए घाट पर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
सूर्य को ‘सर्वति साक्षी भूतम’ (सब कुछ देखने वाला) कहा गया है. ऐसा कहा जाता है कि सूर्य भगवान हर क्रियाकलाप के साक्षी हैं और सूर्य की उपासना नहीं करने वाले लोगों से भगवान रुष्ट हो जाते हैं.
अर्घ्य देने का शुभ समय
सायंकालीन अर्घ्य- 26 अक्टूबर (गुरुवार)
सायंकालीन अर्घ्य का समय :- सांय काल 05:40 बजे से शुरू
अगर उपासना करते वक्त इन मंत्रों का जाप किया जाए तो मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. सूर्य मंत्र का जाप बहुत ही आसान है. इसका जाप करने का सबसे सही समय सूर्योदय है. इन मंत्रों को अलग-अलग 12 मुद्राओं के साथ जपा जा सकता है.
ऊं मित्राय नम:, ऊं रवये नम:
ऊं सूर्याय नम:, ऊं भानवे नम:
ऊं आदित्याय नम:, ऊं भाष्कराय नम:
ऊं आर्काय नम:, ऊं खगये नम:
अर्घ्य कैसे दें
बांस के सूप में फल रखकर उसे पीले कपड़े से ढ़क दें और डूबते सूरज को तीन बार अर्घ्य दें. तांबे के बर्तन में जल भरें, इसमें लाल चंदन, कुमकुम और लाल रंग का फूल डालें. सूर्योदय के समय पूर्व की दिशा में मुंह करके अर्घ्य दें.
अपने सिर की ऊंचाई के बराबर तांबे के पात्र को ले जाकर सूर्य मंत्र का जाप करें.