31 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन देवोत्थान एकादशी है. इसे देवउठनी या देवप्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.
क्यों मनाई जाती है यह एकादशी
मान्यताओं के अनुसार इस दिन क्षीरसागर में सोए हुए भगवान विष्णु चार माह के शयन के बाद जागते हैं और इसीलिए इस दिन विष्णु जी की गई पूजा का बहुत महत्व है. सभी देवों ने भगवान विष्णु को चार मास की योग-निद्रा से जगाने के लिए घण्टा, शंख, मृदंग आदि वाद्यों की मांगलिक ध्वनि के साथ श्लोको का उच्चारण किया था.
कैसे करें पूजा
प्रसाद में रखें ये चीजें
लक्ष्मीनारायण जी को इस दिन, आंवला, सिंघाड़े और मौसमी फलों का भोग लगाया जाता है. फलों के अलावा इस दिन कुछ सब्जियां जैसे मूली, बैंगन, खीरा आदि का भोग भी लगाया जाता है. क्योंकि एकादशी के व्रत में चौबीस घंटे का व्रत रखा जाता है इसलिए व्रती इसदिन दिनभर निराहार रहकर रात में जाकर केवल फलाहार, दूध या जूस लेते हैं. कहते हैं इस व्रत को करने वाले को दिव्य फल प्राप्त होता है. इसके अलावा क्योंकि मखाना अनाज नहीं होता इसलिए पकवानों में मखाने की खीर बनाकर भोग में लागई जा सकती है. अगर आप किसी कारण वश दिनभर निराहार नहीं रह सकते हैं तो दूध या फल का आहार ले सकते हैं.