हिंदू धर्म में प्रत्येक वर्ष 12 पूर्णिमाएं होती हैं जो प्रतिमाह आती हैं. इसी में कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान की पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा 4 नवंबर को होगी. हिंदू धर्म में इसकी बहुत मान्यता है. कहते हैं कि इसी दिन भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार लिया था. वे मत्स्य यानी मछली के रूप में प्रकट हुए थे.
इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा ठीक 180 डिग्री के अंश पर होता है. इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली किरणें काफी सकारात्मक होती हैं और यह किरणें सीधे दिमाग पर असर डालती हैं. चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक है इसलिए इन किरणों का प्रभाव सबसे अधिक पृथ्वी पर ही पड़ता है.
पुराणों के अनुसार, यह दिन स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन स्नान करने वाले जल में थोड़ा गंगा जल मिलाकर नहाना चाहिए और फिर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
गंगा स्नान के लिए उमड़ती है भीड़
गंगा स्नान के संबन्ध में ऋषि अंगिरा ने लिखा है, ‘इस दिन हाथ-पैर धोकर हाथ में कुशा लेकर स्नान करें. यदि स्नान में कुश और दान करते समय हाथ में जल व जप करते समय संख्या का संकल्प नहीं किया जाए तो कर्म फलों से सम्पूर्ण पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है. दान देते समय जातक हाथ में जल लेकर ही दान करें.
वहीं इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि इस दिन ही भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था. इसके बाद से वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे.
1. स्नान कर के भगवान विष्णु की अराधना करनी चाहिए. संभव हो तो गंगा स्नान करें.
2. पूरे दिन या एक समय का व्रत जरूर रखें.
3. इस दिन नमक का सेवन बिल्कुल ना करें. ब्राह्मणों को दान दें.
4. शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने से पुण्य प्राप्ति होती है.